Bewfa Mat Kahna/बेवफा मत कहना

दुनियाँ की भीड़ में अल्हड़ थे,नादान थे,
आसपास के लोग नादानियों से परेशान थे,
उस अल्हड़ को पास बुलाया उसने,
जिस खुशी से अनजान थे वो प्यार सिखाया उसने,
हम सीखते रहे,वे सिखाते रहे,
वे हंसते,हम मुस्कुराते रहे,
उनका सानिध्य ऐसा,
पतझड़ पर मधुमास जैसा,
जेठ की दुपहरी जैसे चाँदनी,
उनकी खिलखिलाहट जैसे रागिनी,
प्रेम का उबाल था उनपर लुटाते रहे,
धरती की प्यास,बन सावन मिटाते रहे,
आंखों ने उनकी आखों में एक बार नही,
कई बार देखा,
प्यार करते थे,उन्हें रब जैसा,
उनकी मुस्कुराहट में छल नही प्यार देखा,
आज जो आँसूं,गम,मुस्कुराहट,यादें,
दर्द या ज्ज्बाते हैं
सब उन्ही की सौगातें है,
जो इतना कुछ दिया उस रब के प्रेम को
मजाक मत समझना,
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी,
उन्हें बेवफा मत कहना,
आज भी हम जहाँ जाते वहाँ
वही खुशबू वही साँसे हैं,
वे गए कहाँ? वे ख्वाबों में अब भी नित आते हैं,
मुझ उच्छृंखल,अक्खड़,
अल्हड़ को आखिर शांत बनाया उसने,
फिर क्या हुआ हमें खिलौना बनाया उसने,
फिर क्या हुआ हमें खिलौना बनाया उसने।
!!!मधुसूदन!!!

Imag Credit :Google

23 Comments

Your Feedback