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एक माह की कठिन तपस्या,होती है रमजान में।
सुना है तेरी बरकत सब पर,होती है रमजान में,
रोजे के इस पाक महीना,
ईद मिलन की बेला में,
कहाँ छुपा मेरे भगवन तू,
दुनियाँ के इस मेला में,
ऐ अल्लाह अगर तू रब है,
तू ही ईश्वर और भगवान्,
आकर देख धरा पर कैसे,
उलझ गए सारे नादान,
एक दूजे से नफरत करते,
पशुओं पर भी दया ना करते,
सबका रक्षक तू है फिर भी,
तेरे नाम पर हत्या करते,
हे अल्लाह ज्ञान दो सबको,पाक माह रमजान में,
सुना है तेरी बरकत सब पर,होती है रमजान में।……….. Click here to cont…. read….
aruna3 says
दिल को छू गई कविता।इश्वर अल्लाह तेरो नाम सब को सन्मति दे भगवान….ईद मुबारक।
Madhusudan Singh says
हम तो ऐसा ही मनाते हैं। मगर कल भी कुछ लोग खुद को सर्वश्रेष्ठ एवं शेष को इंसान नही समझते थे और आज भी सिलसिला जारी है। जानवरों की बात ही जुदा।
aruna3 says
इन्सान ही तो है ,भोला है,खुदा तो नहीं।बहुत कम लोग हैं जो खुदा को सही रूप में जानते हैं।
Madhusudan Singh says
सच कहा जिसे हमने नही देखा उसे नकार नही सकते। सच बहुत कम लोग हैं जो खुदा को जानते हैं। जब वे इंसान उसके सृजन और प्रत्येक जीवों का दर्द नही समझ सकते फिर वे खुदा या भगवान को क्या जानेंगे।
खुदा दिखता नही मगर उसकी रचनाएं दिखती है,
सबको बड़े शिद्दत से बनाया होगा,
आईये हम सबको प्रेम करे।
शायद उसको भी खुशी इसी में होगी।
aruna3 says
हाँ,हमें ही शांति और प्रेम का संदेश फैलाना पड़ेगा बड़े स्तर पर न सही तो क्या ,छोटे स्तर पर ही सही।