
कहता रहा दिमाग,चाय सेहत के लिए ठीक नही,
मगर मुश्किल दिल को समझाना था,
मिलने का वक़्त मालूम,
फिर भी इंतजार,
चाय पीना तो एकमात्र बहाना था,
घँटों की मुलाकात,लब चुपचाप,
ये नित्य का सिलसिला था,
आसान नही था कुछ भी कहना,
फिर भी सुनने को आतुर वे
और लब भी कुछ यूँ हिला था,
हम जीवन भर बर्तन धोते रहेंगे,
तुम यूँ ही चाय बनाते रहना,
आदत सी लग गई तेरे हाथों की,
कभी छोड़ मत जाना,
तुम यूँ ही सदा पिलाते रहना,
स्पंदित हृदय,तोड़ खामोशी,कुछ यूं बुदबुदाए थे,
सुनकर ये शब्द,वे भी मुस्कुराए थे,
उनका मुस्कुराना मानो
सारा संसार मिल गया,
चातक को स्वाति की बूंद नही,
मानो पारावार मिल गया,
मगर मौसम,वक़्त,हवाओं के रुख और मौत पर
किसी का इख्तियार नही,
जैसा कहा,किया मैंने,
फिर भी सज़ावार,
वे भी कुसूरवार नही,
कल का बहाना,आज की आदत,
अब चाय की चुस्की संग जीते,
कल भी बनते दो कप और आज भी,
मगर अब एक नही दो-दो कप स्वयं ही पीते,
तब से अब तक,जो किए वादे उसे ढोते हैं,
यकीन नही तो आकर देख,
बर्तन हम ही धोते हैं।
!!!मधुसूदन!!!
हमारे दो ब्लॉगर मित्र रेखा जी एवं डॉक्टर निमिष की रचना पढ़ चाय पर कुछ लिखने की प्रेरणा मिली जिसमे कुछ शब्द कुछ भाव उनके भी शामिल हैं। मेरे तरफ से धन्यवाद उन दोनों को।🙏
Mahavish says
यक़ीन नहीं आता तो आकर…! वाह बहुत ख़ूब
Madhusudan Singh says
पुनः आभार आपका।🙏
Rekha Sahay says
चाय, बरतनो की सफ़ाई और सेहत छोड़िए. उसे यादों से जोड़िए !! कहाँ मिलेगा बस एक कप में सारा जहाँ ? हर कप में छलकती, भाँप बन फ़िज़ा में घुलती !!
बहुत धन्यवाद मधुसूदन !!
Madhusudan Singh says
चाय की दीवानी दुनियाँ
मैं भी दीवाना था,
चाय तो सिर्फ बहाना था।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।
shubha Mishra says
बहुत खूब
Madhusudan Singh says
Punah dhanyawad.
Sikiladi says
Chai ki chuski ka mazaa, akelepan ka ehsaas….
apki kavita ka andaaz hai kuchh khaas
Madhusudan Singh says
Waah…..Aapne to ek pad banaa diya…..Behtrin…..bahut bahut dhanywad apka sarahneey ke liye.
Zoya_Ke_Jazbaat says
वाह! क्या ख़ूब लिखा है आपने👌
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सराहने के लिए।
Shree says
चाय है ही ऐसी…वाह… वाह..
Madhusudan Singh says
🙏🙏