Adhure Khwaab
बरसों बाद उनको याद आयी
गुलशने जिंदगी बहार आयी,
चुप थे लब खामोश आँखे थी,
कैसे उनको हमारी याद आयी।1
भूल से ओ गली में आ बैठे,
या जलाने का कोई इरादा था,
या तरस थी मेरी उनकी आँखों में,
कैसे उनको हमारी याद आयी।2
सिलवटें जो निशान छोड़ा था,
कतरा-कतरा को हमने जोड़ा था,
उनके दीदार से बाहर आयी,
कैसे उनको हमारी याद आयी।3
ख्वाब था…, यार मेरा रूठा है,
दिल के जैसे ही, ख्वाब टुटा है,
यादे,गम अश्क की, बरसात आयी,
कैसे उनको हमारी याद आयी।4
दिल से जो सोचता अनाड़ी है,
क्या मिला तू बड़ा खिलाड़ी है,
प्रेम अब भी भरा, आ देख ले कबाड़े में,
कैसी गफलत में आज,खो गया जमाने में,
अब भी धड़कन को तेरा इंतेज़ार बाकी है,
कैसे गुमसुम है तू, कैसा बना कबाड़ी है,
खुश रहो तुम ख़ुशी की रात आयी,
तुम ना आये तुम्हारी याद आयी,
तुमको कैसे ना मेरी याद आयी।5
!!! मधुसूदन !!!
सुंदर लिखा है बहुत सुंदर
हमें तो लगा था आप सिर्फ वीररस की रचनाएँ ही लिखते है। प्रेमरस से भी आपका दिल सराबोर है।
प्रेम और नफरत दोनों हमने बचपन से अबतक देखा और सीखा—–जो समय के साथ निकल जाता है——–आपने पढ़ा,पसंद किया साथ ही हौसला बढ़ाने के लिए आपका कोटि- कोटि आभार।
खूबसूरत शब्द और खूबसूरत भाव
Bahut bahut dhanyawaad aapka.
वाह वाह क्या बात है
अति सुंदर👌👌
पसंद आया धन्यवाद आपका
Waah, waah!!! Kya baat hai!! Aaj man maouji ho chala hai, ishq me koi fouji ho chala hai..:)
क्या बात —-क्या बात——बहुत सुंदर —–पसंद आया बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
ये तो ख़्वाबों की दुनिया ही हे
ये तो ख़्वाबों की दुनिया हाई हे
सच कहा आपने—-आभार आपका।