Apnaa Gaon
कितना प्यारा था अपना जहान यारो,
कहाँ छोड़ आए अपना ओ गांव यारों ।
कितना भटके हैं हम,फिर भी तरसे है मन,
हर ख़ुशी है मगर कितना तन्हा हैं हम,
एक डब्बे में सिमटा जहान यारो,
कहां छोड़ आए अपना ओ गांव यारो।
आम अमरुद की डाली कहाँ खो गयी,
देख होठों की लाली कहाँ खो गयी,
कब शहर में बसे, कैसे सिमटे पड़े,
झूठे सपनो ने लूटा जहान यारों,
कहां छोड़ आए अपना ओ गांव यारो।
थक गए अब चला हमसे जाता नहीं,
खंडहर सा शहर हमको भाता नहीं,
जिंदगी भर चले अब किनारे पड़े,
देख पावँ में छाले ये कैसे पड़े,
कैसे उखड़ा जमीं से ये पाँव यारों,
कहां छोड़ आए अपना ओ गांव यारो।
है महल, लोग हैं,पर सहारा नहीं,
आदमी हैं यहाँ भाईचारा नहीं,
लोग कुत्ते घुमाने निकलते मगर,
खाट का कोई चादर हटाता नहीं,
ऐसी जिल्लत नहीं अपने गांव यारों,
कहाँ छोड़ आये अपना जहान यारों
चलो लौट चले अपना ओ गांव यारो।
!!! मधुसूदन !!!
Apna Gaon
kitna pyaara thaa apnaa jahaan yaaron,
kahaan chhod aaye apnaa o gaon yaaro,
kitnaa bhatke hain ham, phir bhi tarse hai man,
har khushi hai magar, kitna tanhaan hain ham,
ek dabbe men simtaa jahaan yaaron,
kahaan chhod aaye apnaa o gaon yaaron.
Aam amrood ki daali kahaan kho gayee,
dekh hothon ki laali kahaan kho gayee,
kab shahar men base, kaise simte pade,
jhuthe sapnon ne lutaa jahaan yaaron,
kahaan chhod aaye apnaa o gaon yaaron.
thak gaye ab chala hamse jaataa nahin,
khandahar saa shahar hamko bhaataa nahin,
jindagi bhar chale ab kinaare pade,,
dekh paown men chhaale ye kaise pade,
kaise ukhdaa jamin se ye paawn yaaron,
kahaan chhod aaye apnaa o gaon yaaron.
hain mahal, log hain, par sahaaraa nahin,
aadmi hain yahaan, bhaayeechaaraa nahin,
log kutte ghumaane nikalte magar,
khaat se koyee chaadar hataataa nahin,
aisi jillat nahin apne gaon yaaron,
kahaan chhod aaye apnaa jahaan yaaron,
chalo laut chalen apnaa o gaon yaaron.
!!! Madhusudan !!!
Bahut sundar Kavita. Hamare gaaon aur chote se Shahar ki yaad aa gayi😀
Kya baat —aapko pasand aayaa ….bahut achha lagaa …..dhanyawaad.
Dhanyawaad aapko itna acha likhne ke liye😀🙏🏻
Sukriya hauska aafjaayee karne ke liye
गांव तो अच्छा लगता ही है। लिखने के साथ ही साथ अपने और अपनी फैमिली के साथ गांव आना जाना चाहिए ताकि गांव का महत्व अगली पीढ़ी भी समझ सके।
वैसे गांव के बारे में बहुत ही अच्छा लिखा है।
प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार आपका।
हां सही कहा आपने ——गांव खुद ब खुद बहुत कुछ बिना सीखे ही सीखा देता है।
कहां छोड़ आए अपना ओ गांव यारो 👌👍
आभार पवन जी
बहुत ही उम्दा लिख रहे हैं sir आप।
इससे भी उच्च स्तर के कविताओं से मेरी मुलाकात होंगी…. आपके कवि मन और आत्मा से यही मेरी विनम्र कामना हैं
धन्यवाद पवन जी आपका प्रोत्साहन सिर आँखों पर वैसे मैं कोई कवि नही, हमसे गलतियों की गुंजाइश ज्यादा है ,कोई कमी दिखे तो जरुर बताएं—–मैं आपके भरोसे पर खरा उतरने का प्रयास करूँगा—–धन्यवाद।
Love the pic.. It feels like cherishing what we have around us in our everyday life 🙂
Wah sir wah
Yad dila gye…
आभार सर—–गांव कैसे भूलें हम
Very nice…
थक गए अब चला हमसे जाता नहीं,
खंडहर सा शहर हमको भाता नहीं, Kya bat sirji 😊😊
मुझे लगता है कि ग्रामीण परिवेश में समय बिताना जीवन का एक महत्वपूर्ण आयाम है, इसे सबको जीना चाहिए। हमेशा की तरह अच्छा लिखा है आपने 🙏
सत्य कहा——शहर तो लोग देख लेते है परंतु गाँव सबके नसीब में नहीं मिल पाता–अच्छा लगा एवं प्रोत्साहन के लिए आभार आपका।