Megha Ajaa Man Tarse
आसमान में गरज रहा क्यों मेघा रे,
तेरी धरती प्यासी प्यास बुझा जा रे|
नजरों से था दूर याद मैं करती थी,
रात-दिन आने की राह निरखती थी,
पास में आकर दूर समझ ना पाऊँ मैं,
अपनी दर्द को कैसे अब दिखलाऊँ मैं,
आँखमिचौली धुप से खेल ना मेघा रे,
तेरी धरती प्यासी प्यास बुझा जा रे |
इंसानों सी आदत तूने कहाँ से सीखा मेघ बता,
अपने प्रियतम को तरसाना कब से सीखा मेघ बता,
धुप बिरह की मुझे जलाती,सहती तेरी यादों में,
नजर दिखाकर पास ना आना,कहाँ से सीखा मेघ बता,
अब तो आजा तुझे बुलाऊँ ऐ मेघा मतवाला रे,
तेरी धरती प्यासी प्यास बुझा जा रे |
तड़प देखकर गरज उठा,आगोश में धरती आयी,
पिघल गया बादल उसने धरती की प्यास बुझाई,
शांत धरा,चहुओर घेरकर ,गरज के बरसा मेघा,
ओस, कुहासा, कोहरा बन, धरती पर डाला डेरा,
प्यास बुझी धरती की,ऐ मेघा मतवाले,
तेरी धरती अब ना प्यासी मेघा रे ,
आसमान में गरज रहा क्यों मेघा रे,
तेरी धरती अब ना प्यासी मेघा रे |
!!! Madhusudan !!!
behad sunder abhivyakti
Sukriya ek saath itne saare pratikriya dene ke liye…
Hmare yha AJ BHI barish hui Hai !
Haa baarish ka mausham aa gayaa …achha hai aanand lijiye waise milan aur judaayee kaa ullekh hai barsha madhyam hai.
Haan bhut Sundar varnan Kia Hai
बहुत ही अच्छा से वर्णन किया है।
धन्यवाद आपका
Yours is the second poem this week I’ve read on rains and I wish, I just wish, like Megh Malhar, the poems would just bring us some much needed rain and relief from this heat. Lovely work!
Thank you very much Pradita ji…..
You’re welcome 😊
Very nicely written sir👍👍👌👌
Thank you very much….
beautifully written.
Thank you very much….
बहुत उम्मदा मधुसूदन जी
सुक्रिया सागर जी।
स्वागत है मधुसूदन जी
हमारे यहां भी आगमन हो चुका है 😊…
जी हमारे यहां भी आगमन हो चुका है …😊
बहुत बढ़िया वैसे हमने मेघ के माध्यम से जुदाई और मिलन का सुख दुख भी दर्शाना चाहते थे।
Ji sir samjh gayi hu mai 😊…
सुक्रिया आपका।
Humare yahan already aa gyi😜
Badhaayee ho biyog ka ant hua…Dharti ki pyaas bhujhi…..