Beti Ka Janm                                              (Part-2)

OpClick here to read part-1 

Cont.—–part-2
एक डाल पर गुलशन में दो कलियाँ है मुश्कायी,
बधाई हो बधाई घर में जुड़वा बिटिया आई।
गूंज उठी किलकारी से,
आंगन में रौनक आयी,
आँगन में दो सजे खटोले,
बिटिया लगन लगाई,
शनैः-शनैः दिन गुजर रहे थे,
रूप रंग भी निखर रहे थे,
साथ में सोना,खेल,पढ़ाई,
कदम ताल में चलता भाई,
अचरज रिश्तेदार को होता,बहन बड़ा या भाई,
बधाई हो बधाई ले ली यौवन ने अंगड़ाई।4।

पुत्र बंटाता हाथ पिता का,
बिटिया माँ का साथ निभाती,
दादी माँ तो आज भी दोनों को,
गुड़िया सी गोद सुलाती,
फूल सी बिटिया खिली महकती,
दर्द नही उसने देखा,
मात-पिता भगवान धरा के,
होठों पर मुश्कान भरा,
बिटिया रानी हुई सयानी,
चल दी माँ समझाने को,
बेटी का भगवान चला फिर,
दुनियाँ नई बसाने को,
भटक रहा है दर-दर करता,
बेटी का गुणगान मगर,
बेटे के बाजार है दुनियाँ,
खोज सका ना कोई वर,
फूल सी बेटी,खिलता गुलशन,
खोज-खोजकर हार गया,
दानव बना दहेज के आगे,
बाप अंत मे हार गया,
भरे-पूरे परिवार में रब ने,
खुशियां फिर बरसाई,
एक ही आंगन में दोनों की,पक्की हुई सगाई,
बधाई हो बधाई खुशिया सुन यौवन शरमाई।5।

                         Click to cont.Part-3

!!! मधुसूदन !!!

28 Comments

Your Feedback