Bharat Gatha (Part.1)
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आर्य-द्रविड़ की धरती भारत,
सोने की चिड़ियाँ थी भारत,
पड़ी विश्व की नजर कथा उस जम्बूद्वीप की गाता हूँ,
रौंद दिया सभ्यता उसी भारत की हाल सुनाता हूँ|२
कर्मप्रधान धरा भारत की,
जिसको माँ हम कहते हैं,
जहां जन्म लेने को ईश्वर,
भी लालायित रहते हैं,
मीठे जल-नद,पर्वत,सागर,
हरे-भरे वृक्षों का भारत,
रमणीक धरा स्वर्ग सी,भारतवर्ष पर शीश झुकाता हूँ,
रौंद दिया सभ्यता उसी भारत की हाल सुनाता हूँ|२
पर्ण कुटीर ऋषि,मुनियों की,
जन्नत के जैसा लगता था,
वेद मंत्र से धरती-अम्बर,
हर पल गुंजा करता था,
यज्ञ-हवन से हर्वि पाकर,
देव जहां गदगद हैं आकर,
उस पावन धरती संग देवों,को मैं शीश झुकाता हूँ,
रौंद दिया सभ्यता उसी भारत की हाल सुनाता हूँ|२
सतयुग,त्रेता,द्वापर गुजरा,
फिर कलियुग आगाज किया,
तब से लेकर अब तक,
ना जाने कितनों ने वार किया,
धन-दौलत ना मात्र निशाना,
सभ्यता,धर्म था उसे मिटाना,
मगर मिटा ना सत्य सनातन का इतिहास सुनाता हूँ,
रौंद दिया सभ्यता उसी भारत की हाल सुनाता हूँ|२
Cont……part..2
!!!! मधुसूदन !!!
ये देश हमसभी जाति,धर्मावलंबियों का है,किसी एक की भी उपेक्षा कर इस देश की कल्पना नहीं की जा सकती और उपेक्षा कोई करे भी क्यों, पूर्व में हमसभी तो आर्य-द्रविड़ ही थे।ये भी देखने में नाम दो है परंतु दोनों एक ही हैं,बस उत्तर में रहनेवाले आर्य और दक्षिणवाले को कालान्तर में द्रविड़ कहा जाने लगा,ततपश्चात हम कई धर्म एवं जातियों में विभक्त हो गए। मेरे तरफ से वहीं से एक कविता लिखने का एक छोटा प्रयास,शायद आप सब को पसंद आये।
प्राचीन भारत की बात ही निराली थी
सोने की चिड़िया था देश ये मेरा
प्रत्येक दिन होली और दिवाली थी।
bilkul……sukriya apka.
धन्यवाद आपका
आवश्यकता है नई पीढ़ी को ऐसी कालजयी रचनाओं की
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद
सुक्रिया अपने पसंद किया और सराहा।
धन्यवाद सर
Umda rachna.
Dhanyawad apka..
बहुत बढ़िया
Sukriya apka..
बहुत अच्छा लिखा है सर
सुंदर भावाभिव्यक्ति
sukriya Mukanshu ji aapne pasand kiya aur sarahaa.
Beautifully explained sir
Thank you very much..
Sanatan dharm !! Hi atal satya hai!!
सुक्रिया अपने पसंद किया और सराहा।