BHUKH

सेज सजी मखमल की फिर भी नींद नहीं है आती,
थाल सजी छत्तीस ब्यंजन पर भूख नहीं ला पाती।
आह निकलती निर्धन की,
उस ब्यंजन से उस बिस्तर पर,
भूख लगे कैसे धनिकों को,
नींद लगे फिर मखमल पर,
महलों में ना चैन किसी को,
ना सुकून मिलता है,
देख सको तो देख लो,
निर्धन के घर रब बसता है,
दर-दर भटका मंदिर,मस्जिद,निर्धन नहीं सुहाती,
थाल सजी छत्तीस ब्यंजन फिर भूख नहीं ला पाती।

poor-05-10-2015-1444040462_storyimage

अहंकार भगवान ना देखा,
धनवानों से दूर हैं रब,
सोने,चांदी,महल,अटारी,
ना बैभव में मिलता रब,
कण-कण में हर जीव में रब है,किसे नजर है आती,
थाल सजी छत्तीस ब्यंजन फिर भूख नहीं ला पाती।
सेवरी के घर राम मिलेंगे,
विदुर के घर में श्याम,
रूखी-सुखी भोग,प्रेम से,
खुश रहते भगवान्,
मगर बनाते मंदिर मस्जिद,
बैभव,आलिशान,
रोज उजड़ता चमन किसी का,
रोता है इंसान,
बेघर दर-दर भटक रहा जब अश्क नजर ना आती,
थाल सजी छत्तीस ब्यंजन फिर भूख नहीं ला पाती।
दर-दर भटक रहे हो क्यों,
भूखे की भूख मिटाकर देखो,
जाति, धर्म और धन के अंधे,
किसी का चमन बसाकर देखो,
उनकी आंखों में फिर तुमको,
तेरा रब दिख जाएगा,
मंदिर,मस्जिद से बढ़कर के,
तुमको सुख मिल जाएगा,
बिन करुणा हम इंसानो को सुख कहां मिल पाती,
थाल सजी छत्तीस ब्यंजन फिर भूख नहीं ला पाती।

“धनिक मतलब वैसे इंसान जिनके नजर में गरीबों की कोई अहमियत नही।”

!!! मधुसूदन !!!

23 Comments

Your Feedback