CAA-NRC
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CAA-NRC कानून सच में बुरा है,
या सिर्फ विरोध करने का हथियार है,
कारण जो भी हो मगर
वतन झुलस रहा और नेताओं की बहार है।
मगर इन सबके के बीच झारखंड अभी गौण है,
वोट बैंक एकतरफा ना हो जाए
शायद डर से विपक्ष अभी मौन है,
मगर क्या जलता भारत भी
डूबते को किनारे ले आएगी,
या नौका बीच मझधार ही डूब जाएगी,
राजनीत जो भी खेल दिखाए
मगर सहिष्णु हैं हम,
हमें मिटाना आसान है,कश्मीर देख लो,
मगर हम,किसी को मिटने नहीं देंगे,
कानून जो भी आए
भारतीय हैं तो डर कैसा,
घुसपैठिए को टिकने नहीं देंगे,
सच है
वतन जब-जब जला तब-तब
किसी न किसी का वोट बैंक बढ़ा है,
नेताओं का क्या बिगड़ा,
हर बार जनता ही दर्द सहा है,
वर्षो बाद फिर उनको एक हथियार मिला है,
ढाल भी हम तलवार भी हम,
फिर एक बार हम मूर्खों का उनको साथ मिला है,
आज पत्थरबाजी करती जनता,तड़पते,मरते लोग और प्रशासन लाचार है,
वतन झुलस रहा और नेताओं की बहार है,
वतन झुलस रहा और नेताओं की बहार है।
!!!मधुसूदन!!!
आपका पोस्ट प्रासंगिक है और बातें सटीक.
विरोध बहुत तरह से किया जा सकता है. परंतु विरोध करने के लिए देश की संपत्ति नष्ट करना नासमझी है.
बिल्कुल सही कहा। देश की सम्पति अपनी धरोहर है। और धरोहर कोई ऐसे नष्ट नही करता।
Batware se na ghar sambhla hai na desh sambhlega.
Hamari ekta mein hamari takat hai.
Sundar rachna!
Batwaraa kabhi bhi sukun nahi detaa…..magar ham jaankar bhi bantware ki baat karte hain……vidambnaa hi hai……dhanyawad apka.
वर्तमान परदृश्य का बढ़िया चित्रण प्रस्तुत किया है , मधुसूदन जी!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
स्वागतम !
देखो ना……
क्या गजब का नज़ारा है
देश हमारा जल रहा है
हमारा प्यार नेता सियासत की रोटी सेक रहा है
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जला कर हिंदुस्तान वह
खुद को हिंदुस्तानी बता रहा
ये सब दिन अपनी रोटियाँ ही सकते हैं। और खुश तब ज्यादा होते हैं जब दंगे होते हैं।
सुना है ना—-
कुछ गाडियाँ जलती हैं तो जलने दो
कुछ लाशें गिरती हैं तो गिरने दो,
Bohat khoob
A very timely poetry as usual. You are always in time with the poetry to suit the occasion.
Badalte bharat me rajnit karte neta aur tadapte, pattharbaaji karte logon ko dekh kalam chal hi jaati hai…….dhanyawad apka sarahne ke liye.
Bohat umdaa shabd Madhusudan ji.
Apsbon ki pratikriya hi umda banaati hai…dhanyawad apka.
🙏
👏👏
अगर आप इजाज़त दें तो अपने फेसबुक पेज पर आखिरी की दो पंक्तियों को आपके नाम के साथ डालना चाहूंगी।
बेझिझक डालिये। स्वागत आपका।
Thank you!
मधुसूदन जी काश यह हर कोई समझ सके। आपकी लेखनी की क्या तारीफ करूँ मगर जो नब्ज़ पकड़ी है, काश सब पकड़ सकें।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका। वैसे समझते सभी हैं मगर कहते नही।