PREM/प्रेम

प्रेम किसे कहते उसे नही पता,जो पर्वत की ऊंची चोटियों से पिघले हिम को,अपनी दोनो भुजाओं में समेटे,चट्टानों से चोट खाते,हर बांधो को तोड़ते,अपना मार्ग स्वयं बना,सागर में खो जाने के पूर्व स्वयं,न जाने कितने ही जीवों का आशियाना बन जाते,प्रेम किसे कहते उसे ज्ञात नही,फिर भी, बिना भेदभाव किए न जाने कितने ही जीवों का प्यास […]

Posted in DIL, LoveTagged 24 Comments on PREM/प्रेम

DILEMMA/उहापोह

मैं धरती तुम गगन हमारे,सूरज,चंदा,चमन हमारे,काया मेरी जान तुम्ही हो,धड़कन मेरे प्राण तुम्ही हो,बेशक नयन हमारे उनमे बस तेरे ही रूप रे पगले,भरी दुपहरी ढूँढ रहा क्यों,इधर-उधर तुम धूप रे पगले।मैं राही तुम सफर हमारे,मंजिल तुम हमसफ़र हमारे,तुम ही मेरे काशी,काबा,तुम चितचोर मेरे,मैं राधा,तुम ही हो प्रारब्ध,मुकद्दर और मैं तेरी हूर रे पगले,भरी दुपहरी ढूँढ […]

Posted in DIL, Hindi PoemTagged 51 Comments on DILEMMA/उहापोह

AADAT CHAY KI/आदत चाय की

कहता रहा दिमाग,चाय सेहत के लिए ठीक नही,मगर मुश्किल था दिल को समझाना,मिलने का वक़्त मालूम,फिर भी इंतजार,चाय पीना तो था एकमात्र बहाना,घँटों की मुलाकात,लब खामोश,ये नित्य का सिलसिला था,आसान नही था कुछ भी कहना,फिर भी सुनने को आतुर वेऔर लब भी उस दिन कुछ यूँ हिला था,हम जीवन भर बर्तन धोते रहेंगे,तुम यूँ ही […]

Posted in DIL, Hindi Poem, LoveTagged 43 Comments on AADAT CHAY KI/आदत चाय की

ATMAHATYA/आत्महत्या

स्तब्ध हूँ, इस तरह चले जाना तेरा ठीक नही,माना जीवन क्षणभंगुर मगर,इस कदर अपनों कोतड़पाना भी तो ठीक नही,काश अपनी मजबूरियाँ अपनों को बताते,कोई न कोई राह जरूर निकल आते,थोड़ी सी चोट और छलक जाते हैं आँसू,छुपाता कोई बिस्तर भिगोता है,तुम तो मर्द है,क्या हुआ,ऐसे लड़कियों की तरह रोता क्यों है?कुछ ऐसा ही कहा जाता […]

Posted in DIL, Hindi PoemTagged 47 Comments on ATMAHATYA/आत्महत्या