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कुछ आज छोड़ गए,कुछ कल छोड़ जाएंगे,
नश्वर है सबकुछ यहाँ,
एकदिन हम भी छोड़ जाएंगे,
ये हम कौन,
मालूम नहीं,
जिह्वा को स्वाद चाहिए,
शरीर को आहार चाहिए,
आँखें देखने को कहती हैं,
कानों को वो धुन चाहिए,
त्वचा को स्पर्श,साँसों को खुशबू,
और हमें,वो चाहिए,
जो हँसाता है,रुलाता भी है,
गुदगुदाता है,तड़पाता भी है,
गुल को गुलशन,
गुलशन को गुल चाहिए,
पसन्द अपनी,अपनी सबकी,
हमें तो
सिर्फ तुम चाहिए,
ये तुम कोई और नहीं बल्कि वही है,
जिसके बगैर हम और हमारा रूह,
वैसे ही तड़प उठते हैं,
जैसे जल बिन मछली।
!!!मधुसूदन!!!
ShankySalty says
मेरी ज़िंदगी कि चाहत ही तो है आपको पढ़ना। मेरे चेहरे पे खुशी, दिल में उमंग और लिखने की उम्मीद है आपकी पंक्तियाँ।
Madhusudan Singh says
ये शायद आपकी सोच का ही प्रतिफल है। हमने कभी कमेंट्स बॉक्स में लिखा था शायद।
ShankySalty says
शायद😅
VIJAY KUMAR SINGH says
बेहद सुंदर रचना.
Madhusudan Singh says
पुनः धन्यवाद सर।
aruna3 says
हाँ सही फरमाया।मिलने को जहाँ में सब मिल जाता है पर जहाँ बनाने वाला नहीं मिलता।बहुत खूबसूरत कविता है आपकी।
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।
Nimish says
Bahut khoobsurat rachnaa….
हाल न पूछो मोहन का
सब कुछ राधे-राधे है
🙂 🙂
Madhusudan Singh says
क्या बात। लाजवाब।👌👌👌👌
Yasmin Khan says
Waah👏👏👏
Anonymous says
अनन्य प्रेम को समर्पित कविता 👌👌
Madhusudan Singh says
सुक्रिया आपका पसन्द करने के लिए।
Rekha Sahay says
सच है कि सब कुछ नश्वर है।फिर भी विडंबना यह है कि चाहते ख़त्म नहीं होती है। उम्दा रचना है।
Madhusudan Singh says
मरते दम तक जीने की चाहत,
ये चाहत भी अजीब है।
सुक्रिया आपका पसन्द करने के लिए।
Sngms says
बहुत सुंदर रचना सर 👌,जेहि पर जेहिकर सत्य सनेहू, सो तेहि मिलै न कछु संदेहू।
Madhusudan Singh says
क्या बात। बेहतरीन पंक्तियाँ।
सुक्रिया आपका पसन्द करने के लिए।
Sngms says
हार्दिक अभिनंदन🙏