Dharmandhta

आज धर्मांधता में लोग अपना इतिहास भूल गए। लोग अब उसे महान बता रहे हैं जो इस देश मे आक्रांता बन कर आया। जिसका सिर्फ राजा और राज्य से ही मतलब नही बल्कि उसका मतलब तो धार्मिक कट्टरता से भी जुड़ा था।

कोई एकेश्वरवाद को मानता है हम उसमे भी अपने भगवान को देखते हैं परन्तु कोई एकेश्वर को माननेवाले बहुईश्वरवाद और मूर्तिपूजा का अपमान करते हुए मंदिरों को तोड़ अपनी उपासना का केंद्र बना डाले साथ ही किसी को लोभ देकर किसी को डरा कर तथा बात नही मानने पर किसी के साथ जानवर जैसा ब्यवहार कर निर्मम हत्या कर अपने धर्म को बढ़ावा दे ये कहा का धर्म है? वाजिब है इसका प्रतिरोध होता साथ ही उनके विरुद्ध एक गुट बनता और ऐसा ही हुआ।

हम असफाकउल्लाह खान और उनके धर्म पर गर्व करते हैं साथ ही परम् आदरणीय अब्दुल कलाम जैसे भारतीयों पर हँसते-हँसते अपने जान कुर्बान करने का माद्दा रखते हैं। हमें किसी धर्मवालों से कोई नफरत नही फिर भी लोग नफरत की चिंगारी लगा इल्जाम हम पर थोप खुद को उस आग में जलने से कैसे बचा सकते हैं।

परिवर्तन संसार का नियम है आज हम हिन्दू हैं हो सकता है कल हम कोई कबीले होंगे।
जो भी अन्य धर्मवाले हैं हिंदुस्तान में,निश्चित ही आठवी शदी के पूर्व उनका कोई और धर्म होगा, जैन,बौद्ध या हिन्दू। फिर धर्म बदलते ही भाषा क्यूँ बदल गयी। खुद को उस आक्रांता से जोड़ उसे महान बताने पर क्यों तुले हुए हैं,जिसने कल सभी के पूर्वजों को बेरहमी से रौंद डाला।

आप किसी भी धर्म के हैं हमे प्रेम है आपसे ।हम भाई मानते है आपको और आप हैं भी सिर्फ मजहब बदला है। आप तो आग ना उगलिये। हम हिन्दू कट्टरता का कत्तई समर्थन नही करते क्योंकि हम जानते हैं कि कल फिर एक धर्म आएगा जो इन सारे धर्मो का अंत करेगा और वह होगा इंसानियत का धर्म।
आईये हमसब इंसान बने एक दूसरे का हत्या करने की जगह मददगार बने।
परन्तु पूर्व में आक्रांता हमारे देश में जो भी क्रूरता दिखला गए हैं चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों ना हों उसे लिखना गुनाह है क्या?

!!! मधुसूदन !!!

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