बिखर कर भी प्रेम बिखर नहीं पाता है,
संवर कर भी स्वार्थ संवर नहीं पाता है,
खुशबु बिखेरे मिटकर फूल दुनिया में,
कांटे फूल पाकर भी महक नहीं पाता है,
बिखर कर भी प्रेम बिखर नहीं पाता है।
जिंदगी तो दौड़ है स्वार्थ और प्रेम का,
रिसते हैं आँखों से अश्क स्वार्थ-प्रेम का,
सिलवटें निशान कोई हंसकर मिटाता है,
उन्हीं यादों को कोई दुनिया बनाता है,
संवरकर भी स्वार्थ मुशाफिर रह जाता है,
बिखर कर भी प्रेम बिखर नहीं पाता है|
गलतियां हजार मगर प्रेम ढूंढ लेता है,
कोयले की खान से हीरे चुन लेता है,
खूबियां हजार स्वार्थ खामी ढूढ़ लेता है,
दूर हो जाने को निशानी ढूंढ लेता है,
फिर ओ स्वार्थ कभी चैन नहीं पाता है,
बिखर कर भी प्रेम बिखर नहीं पाता है|
दिल का दरवाजा हम खुला छोड़ बैठे थे,
भूल एक हसीन यही हम कर बैठे थे,
होश थे गवाए हम दस्तक से हारकर,
दुनिया को छोड़ उसे अपना बना बैठे थे,
कल वाली दुनिया ना वो सक्श मेरे पास है,
दरवाजे पर फिर भी उसी का इंतज़ार है,
धोखेबाज स्वार्थी है जानता है दिल फिर भी,
बेशुमार प्रेम उसे आज भी बुलाता है,
बिखर कर भी प्रेम बिखर नहीं पाता है|
!!! Madhusudan !!!
gauravtrueheart says
Nice
Madhusudan says
अपने बहुमूल्य समय को निकाल हमारे कविता को पढ़ने और तारीफ़ करने के लिए कोटि कोटि आभार।
gauravtrueheart says
आपकी रचनायें है ही अद्भुत उनको पढ़ने की तो स्वतः ही इच्छा होती है।
Madhusudan says
ये तो आपके उत्तम विचार हैं —–आप उसे बड़ा बनाते हैं।सुक्रिया आपका।
gauravtrueheart says
कभी कभी देर से पढ़ते हैं आपकी रचना पर पढ़ते जरूर है सर।
Madhusudan says
आभारी हैं आपके—-आप भी बहुत अच्छा लिखते हैं समयाभाव में चाहकर भी नहीं पढ़ पाते परन्तु समय निकालकर हम भी पढ़ने और सिखने का प्रयास करते हैं।
gauravtrueheart says
आपकी दयालुता है सर।
WordsOfDepth says
Bhuut bdiya…
Bikhr kr prem bikhr ni pata
Waah
Madhusudan Singh says
Bahut bahut dhanyawaad aapka…
रजनी की रचनायें says
कांटे फूल पाकर भी महक नहीं पाता। बहुत ही सच ब्यां किया है आपने।
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
Rupali says
Behatareen abhivyakti.
Madhusudan Singh says
Sukriya aapka…
Rekha Sahay says
प्रेम और कटु सत्य एक साथ लिख डाला आपने –
जिंदगी तो दौड़ है स्वार्थ और प्रेम का,
रिसते हैं आँखों से अश्क स्वार्थ-प्रेम का,
Rohit Nag says
Bahut hi khoobsurat
poonam upadhyay says
बिखर कर भी प्रेम
बिखर नही पाता है
जिस्म से जुदा रूह
निखर नहीं पाता है
चाहे लाख बंदिशें हो
चाहे रस्में जुदाई भी
आखिरी धड़कन तक
ये हर रस्म निभाता है
बिखर कर भी प्रेम
बिखर नही पाता है…
Madhusudan Singh says
क्या बात—क्या बात—बहुत खूब–पूनम जी
poonam upadhyay says
धन्यवाद सर 😊…
Madhusudan Singh says
आपकी कविता रूह को छू गयी जिसे पढ़कर हमने भी कोशिश की….सुक्रिया।
poonam upadhyay says
बहुत बहुत आभार सर …😊
✍पवन 💕💞 says
बहुत ही बढ़िया…👌👍
Madhusudan Singh says
धन्यवाद पवन जी साथ ही अपने बेशकीमती समय को निकाल प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
✍पवन 💕💞 says
आप जैसे कवि से जुड़कर आपको पढ़ पाना मेरा सौभाग्य है। आभार आपका….💐