Ek Kashmiri Pandit ki Dastaan

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आठ साल का बालक रोता,
मृत पिता रज अश्क से धोता,
अल्लाह, ईश्वर, गौड़, गुरु,
भगवान बता माँ कैसा होता,
होता है क्या धर्म बता,क्यों जुल्म सहन हम करते हैं,
पुत्र दर्द क्या अश्क आँख के,चीख-चीख सब कहते हैं|
लाल मेरे नादान अभी है,
दुनियां से अनजान अभी है,
नफरत के सब खेल यहां पर,
समझ सको ये ज्ञान नहीं है,
एक जगत है एक पिता,
है एक ही पालनहार सभी को,
अल्लाह,ईश्वर,गौड़,गुरु,
सब कहते हैं भगवान उसी को,
अगर एक रब माँ फिर क्यों सब,हमसे लड़ते रहते हैं,
पुत्र दर्द क्या अश्क आँख के,चीख-चीख सब कहते हैं|

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कहाँ से इसकी कथा सुनाऊँ,
दर्द तुझे कैसे समझाऊं,
उजड़ा चमन हमारा प्यारे,
लेकर तुझे कहाँ मैं जाऊं,
अगल-बगल अल्लाह के बन्दे,
प्रेम तो हमसे करते हैं,
मगर साथ ना कोई अपना,
दहशत में सब रहते हैं,
अपने सारे लोग कहाँ है,
देख महल श्मशान बना है,
मुश्किल जान बचाना प्यारे, हम कश्मीर से चलते हैं,
पुत्र दर्द क्या अश्क आँख के,चीख-चीख सब कहते हैं।
पहले हम गांधार से भागे,
फिर तक्षशिला का त्याग किया,
अमन भरा कश्मीर हमारा,
दृष्टि गिद्ध ने ड़ाल दिया,
हिन्दू मुक्त हुआ कश्मीर,
कहाँ किसी के पास जमीर,
पुश्तों की हर याद लाल इस उजड़े चमन में बसते हैं,
पुत्र दर्द क्या अश्क आँख के,चीख-चीख सब कहते हैं।
भगवा से ना प्रेम हमारा,
बैर नहीं इंसानों से,
सत्य कहें तो नाम जोड़ते,
अपना भगवा वालों से,
झूठ बोल सेक्युलर कहलाना,
अपना दर्द जुबाँ ना लाना,
हिन्दू,मुश्लिम,सिक्ख,ईसाई,
मतलब से सबको लड़वाना,
राजनीत का खेल यहाँ, हम जैसे तिल-तिल मरते हैं,
पुत्र दर्द क्या अश्क आँख के,चीख-चीख सब कहते हैं|

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राजनीत और धर्म का संगम,
धर्म बनाया पकिस्तान,
धर्म तले कश्मीर सुलगता,
तिल-तिल जलता है इंसान,
यू.पी. जलता,केरल जलता,
जलता है बंगाल अभी,
सत्ताधारी सत्ता सुख में,
भूल गए इंसान सभी,
आज चुप तुम हम जलते हैं,
सुन ले सत्ताधारी तुम,
चमन उजड़ता आज हमारा,
कल है तेरी बारी सुन,
बंजारन सा हाल देख, हम दर-दर आज भटकते हैं,
पुत्र दर्द क्या अश्क आँख के,चीख-चीख सब कहते हैं,
पुत्र दर्द क्या अश्क आँख के,चीख-चीख सब कहते हैं|
!!!मधुसूदन!!!

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