“Every successful women”
महाभारत का युद्ध आसान था शायद,
आसान था कल,
मर्यादित रावण से
टकरा जाना,
परन्तु आसान नही यहाँ नारियों का,
ख्वाहिशों के पंख लगा अम्बर को छू पाना,
जहाँ अब भी निराशाओं के बादल
जलजला बन डूबाने को आतुर
ख्वाबों की नैया,
जहाँ अपनों के ताने,
दावानल बन झुलसाने को ततपर
अरमानों की मड़ैया,
जहाँ समाज का लोक-लाज,
बन चट्टान ततपर रोकने को राह,
जहाँ भीतर अपनों का अवरोध,
बाहर गिद्ध दृष्टि भरे लोग,
वहाँ आसान नही
कुम्हलाते कलियों का
फूल बन खिल पाना,
परन्तु कुछ ऐसे
जो अपने हौसलों को जिंदा रखती,
बचपन से अपने हक को लड़ती,
कभी डूबती,कभी झुलसती,
मगर संयमित,मर्यादित,
सफलता के शिखर पर चढ़ती,
एवं औरों को प्रेरित करते हुए,
पुनः सृजन करती,
अवरोध मुक्त
नव जीवन,नया समाज
हर सफल नारियाँ,हर सफल नारियाँ।
!!!मधुसूदन!!!
Atti Uttam.
Thank you very much.🙏
सुंदर रचना।
Bahut bahut dhanyawad apka pasand karne aur sarahne ke liye.
यूँ ही नहीं लोग आपकी रचना पसंद करते हैं…!👌🏻👌🏻👌🏻
Aap bhi kam nahi hain janaab……….apki rachnayen sandaar hoti hain………dhanyawad apka.
आपका बड़प्पन है सर.!😌🙏🏻🙏🏻
वाक़ई आप बहुत ही अच्छा लिखते हैं। मंत्रमुग्ध हो जाते हैं हम। लिखते रहिये।🙏🙏
बिल्कुल सच है सर ! एक महिला होने के नाते यह सब प्रत्यक्ष रूप से महसूस कर पाना, इससे भयावह कुछ और नहीं।
Sthiti pahle se kaafi thik huyee hai parantu abhi bhi logon ko sochne aur samajhne ki jarurat hai ……bahut bahut dhanywad apka…….bahut dinon baad wordpress par aane ka majaa aayaa.
Sundar rachna.
Dhanywad Bahan.
अति सुंदर रचना सर! नारी की व्यथा व्यक्त करती खूबसूरत रचना👌👌🙏🌻
Bahut bahut dhanyawad apka pasand karne ke liye.
हृदयस्पर्शी रचना👏👏
सुक्रिया पसन्द करने एवं सराहने के लिए।🙏
बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी। रचना पढ़ने और पसन्द करने के लिए।
पुनः एक और सराहनीय रचना,,, आपकी अपनी चिर-परिचित अभिव्यक्ति के साथ 👌👌