Insaan Ki Pukar

खून से देख तेरी धरा हुई लाल,पहली सोमवार में,
हाय रे बिधाता देख भक्त है बेहाल,तेरे दरबार में।

सरहद के पार माना रावण का साम्राज्य है,
सरहद के अंदर बोल तू ही किसका राज है,
पंडित लाचार छोड़ भागे कश्मीर से,
कितनों की जान गई तेरे कश्मीर में,
एक ही कौम का जहान बना कश्मीर,
तू ही बता कहां कश्मीरियत कश्मीर में,
खून की अश्क आज रोये तेरे लाल खड़े तेरे संसार में,
हाय रे बिधाता देख भक्त परेशान,आज तेरे दरबार में।

कहने को उग्रवाद बात कोई और है,
मुखड़े के पीछे का राज कोई और है,
रंगों का देश तेरा,भाषा भी अनेक है,
जाति और धर्म कई फिर भी सभी एक हैं,
धर्म को छोड़ देख हम भी तो इंसान हैं,
सबकी हंसी में छुपी मेरी ये मुश्कान है,
मेरी मुश्कान देख होते परेशान सब तेरे संसार में,
हाय रे बिधाता देख भक्त परेशान,आज तेरे दरबार में।

आज भी अच्छे इंसान सभी धर्म मे,
इंसाँ से प्रेम करनेवाले सभी धर्म में,
हमें ना बैर कोई धर्म और समाज से,
धर्म की आड़ क्यों डराते उग्रवाद से,
शक्ति अपार कल रावण के हाथ था,
ज्ञान भी अपार भरा उसके दिमाग था,
मुश्किल मंदोदरी को रावण समझाने में,
दुसह था दर्द फिर भी पति मिट जाने में,
गम सभी को कल हम भी गमगीन मगर,
शांति धरा की सिर्फ रावण मिट जाने में,
बेबस मंदोदरी आज लाखों कश्मीर में,
रावण की फौज देखो पलती कश्मीर में,
वैसे तो तुलना इनसे रावण का तौहीन है,
इनकी मौजूदगी में जीना नामुमकिन है,
अपना फिर बोल ना तू उसे संसार में,
भटका ना बोल उसे अपने जहान में,
धूर्त का अंत कर छुपकर करे वार हमपर,तेरे संसार में,
हाय रे बिधाता देख भक्त परेशान,आज तेरे दरबार में।

मानवता मिट रही तेरे संसार से,
सुनते ना कोई चीख बीच बाजार में,
गौ रक्षक को नजर इंसान नहीं आता है,
पूरे परिवार का हत्यारा बन जाता है,
जाति और धर्म का षड्यंत्र पुरजोर यहां,
इंसाँ ही इंसाँ का अब काल बन जाता है,
ऐसे इन कालों का तूँ कहा महाकाल,है छुपा संसार में,
हाय रे बिधाता देख भक्त है बेहाल,तेरे दरबार में।

!!! मधुसूदन !!!

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