JEEVAN AUR SAMAAJ
हमने छोड़ा सबअभिमान,तुम्हारा दास हो गया,
सच कहते हैं तुमसे यारा,हमको प्यार हो गया।
उसकी प्रेम,गुजारिश,जिद ने,
हर बंधन को तोड़ दिया,
प्रेम के आगे बेबस बुलबुल,
खिड़की दिल का खोल दिया,
मद्धिम झोंका कब आंधी का,
रूप लिया कुछ पता नहीं,
बदल गयी दुनियाँ कब उसकी,
कैसे कुछ भी पता नही,
चहक उठी उसका गुलशन गुलजार हो गया,
एक दूजे बिन अब रह पाना,दुस्वार हो गया।
अरमानों का पंख लगा अब,
सपने अपनी बुनती है
अपने प्रेमी की बाहें,
जन्नत सी उसको लगती है,
इश्क चढ़ा परवान,
धर्म और जाति रोक नहीं पाया,
मात-पिता बेबस समाज,
रिश्ते को तोड़ नहीं पाया,
बेटी हुई बहिष्कृत घर से,
दिल से वह मजबूर हुई,
मंजिल तो मिल गयी मगर,
माँ-बाप से अपने दूर हुई,
मनमर्जी जीवन का दुश्मन परिवार हो गया,
मात-पिता बिन बुलबुल का,निकाह हो गया।
Cont……….
!!! मधुसूदन !!!
बहुत ही अच्छा लिखा है और सच को उजागर किया है आपने।
सुक्रिया आपने पसंद किया।
Dil ko chu jane wali kavita
sarahanaa ke liye bahut bahut dhanyawaad
Great going sir…
Fabulous work
पसंद करने के लिए सुक्रिया आपका।
Bahut khub sir👌👌👌
धन्यवाद आपका।
How beautiful!! Bringing back all the emotions back !!
Thank you very much…
Welcome sir 😊
आज के हालात पर बिल्कुल सच और सही लिखा है अपने!
सुक्रिया आपका।
Sahi likha hn ….
धन्यवाद आपका।
जितनी प्रशंसा की जाये कम है
अतिसुंदर सुप्रभात