Jindagi ke Rang
जीवन है सतरंगी आ संग,इसके जश्न मनाले,
एक-एक खो जाएंगे फिर,जो भी साथ हमारे।
हाथ मे आया और कब खोया,
लट्टू,गीली-डंडा,
खेल कबड्डी कब आया,
कब खोया हाथ से अंटा,
पता नही कब कलम मिली
कब छूट गया विद्यालय,
पता नहीं कब यौवन आयी,
कब आया मदिरालय,
होठों से कब जाम लगा,साकी थे साथ हमारे,
जीवन है सतरंगी आ संग,इसके जश्न मनाले।
बचपन मे धुन यही सुनाता,
यही सुनाता यौवन में,
एक छूटा फिर दूजा आया,
इस इंसाँ के जीवन में,
बीत गया कब बचपन,यौवन,
बृद्ध हुआ कब पता नहीं,
दादा-दादी कब बन बैठे,
जीवन में कुछ पता नहीं,
खोज रहा था खुशियां अपनी,
जो रखा था दामन में,
पर्वत से टकराने वाला,
थककर बैठा आंगन में,
पीठ,पेट सट एक हुए,चलता अब लट्ठ सहारे,
जीवन है सतरंगी आ संग,इसके जश्न मनाले।
पुत्रवधु और पुत्र मगन हैं,
पोते-पोती साथ कहाँ,
सत्तर के थे उम्र खुशी से,
एक दूजे संग काट रहा,
मगर रात एक आई आँधी,
प्यारी उसकी रूठ गई,
वर्षों के सैलाब जिगर के,
आंखों से फिर फुट पड़ी,
कांप रहे थे हाथ,
नहीं पैरों में उसकी ताकत थी,
जीवन के इस अंत घड़ी में,
सबसे मुश्किल आफत थी,
बिलख रहा था बरस रहे थे,आंखों से अंगारे,
जीवन है सतरंगी आ संग,इसके जश्न मनाले।
जीवन मे संकट थे कितने,
फिर भी ना वह टूट सका,
मगर उदासी आज की उसकी,
पलकों से ना रोक सका,
आंखों से सैलाब बरसते,
दाँत बिना थे होठ फड़कते,
रो-रोकर फिर धुन वह गाता,
खुद का धीरज स्वयं बंधाता,
ब्यर्थ की चिंता में ना बंन्दे,
अपनी उम्र गवाँ रे,
हँसकर सबसे गले मिलो,जो भी हैं साथ तुम्हारे,
जीवन है सतरंगी आ संग,इसके जश्न मनाले।
!!! मधुसूदन !!!
Nice
Thank you very much
बहुत खूब। बहुत ही अच्छा लिखा है जिंदगी के चारों आयाम को ह
👌💐
Sukriyaa apka apne pasand kiya Ur sarahaa…..
Behad sunder………………….
sukriya apka
Very beautiful poem…………..
Beautiful poem Sir👏
Thank you very much for your appreciation.
Welcome sir