JIWAN KA KHEL/जीवन का खेल
उपवन को महकाने आए,
फूल को महक दिखाने आए,
जिसने दी आँखों में आँसू
हँसना वही सिखाने आए।
जीवन का ये खेल निराला,
देते अपने बन विष प्याला,
कुछ ऐसे अपने जीवन में
बन बैठे जिनके मतवाला।
चिड़ियों को एक साथ चहकते
फूलों को काँटों पर हँसते,
देखा वृक्ष अडिग धरती पर,
जिसके बल पर डाल मचलते,
उनको भी वैसा था जाना,
अपने और सृष्टि जस माना,
मगर खिले उपवन सा जीवन,
छोड़ गए करके वीराना,
फिर से धमक दिखाने आए,
जीवन क्या सिखलाने आए,
जिसने दी आँखों में आँसू
हँसना वही सिखाने आए।
हँसकर शुल चुभाने आए
खग को गगन दिखाने आए
जिसने दी आँखों में आँसू
हँसना वही सिखाने आए।
!!!मधुसूदन!!!
Upavan ko mahakaane aae,
phool ko mahak dikhaane aae,
jisane dee aankhon mein aansoo
hansana vahee sikhaane aae.
jeevan ka ye khel niraala,
dete ban apane vish pyaala,
kuchh aise jivan me apne
ban baithe jinke matavaala.
chidiyon ko ek saath chahakate
phoolon ko kaanton par hansate,
dekha vrksh adig dharatee par,
jisake bal par daal machalate,
unako bhee vaisa tha jaana,
apane aur srshti jas maana,
magar khile upavan sa jeevan,
chhod gae karake veeraana,
phir se dhamak dikhaane aae,
jeevan kya sikhalaane aae,
jisane dee aankhon mein aansoo
hansana vahee sikhaane aae.
hansakar shul chubhaane aae
khag ko gagan dikhaane aae
jisane dee aankhon mein aansoo
hansana vahee sikhaane aae.
!!!Madhusudan!!!
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ हैं। मधुसुदन जी मेरी दूसरी बुक बुक पब्लिश हो रही है। आपकी रचनाओं को सम्लित करने का मन है ताकि अच्छे कवियों की कविता समाज के सामने लाया जा सके। आप से बात करनी थी क्या मोबाइल नंबर मिल जायेगा यदि एतराज न हो तो।
सुक्रिया आपने पसन्द किया और सराहा।आप अपना ईमेल भेजिए।मेरा ईमेल है–[email protected]
भावपूर्ण और सुन्दर
धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
Lajawab
Dhanyawad apka pasand karne ke liye.
Simple and such a heart warming poem sir
Thank you very much for your appreciations.