एक ऐसी नवयुवती जिसका एकमात्र सहारा उसके पति की एक दुर्घटना में मौत हो जाती है | उस अबला की दर्द, चीख और पुकार को शब्दों में बयाँ करना तो मुश्किल है, फिर भी एक छोटी कोशिश ………………
तूने किसके सहारे मेरे यार जहाँ में छोड़ चला,
क्यों थाम के मेरा हाथ साथ तुम छोड़ चला |
क्या मैंने बिगाड़ा था तेरा,
क्यों तोडा हमारा बसेरा,
तुम्हे कुछ भी दया नहीं आयी,
क्यों दे दी हमें तू जुदाई,
अब सुना लगे है संसार यार क्यों रूठ गया,
क्यों थाम के मेरा हाथ साथ तुम छोड़ चला.
तूने किसके सहारे मेरे यार जहाँ में छोड़ चला,
अब कौन है जग मैं हमारा,
बेवफा तूने क्या कर डाला,
तुझे बेबस निगाहें पुकारे,
पास आज या मुझको बुलाले,
अब जीना नहीं है इस पार तार क्यों तोड़ चला,
तूने किसके सहारे मेरे यार जहाँ मैं छोड़ चला.
क्यों थाम के मेरा हाथ साथ तुम छोड़ चला.
!!! मधुसूदन !!!
gauravtrueheart says
मार्मिक रचना
Madhusudan Singh says
आभार आपका अच्छा लगा——धन्यवाद
kumar❣🔊 says
अत्यंत मार्मिक😢😢
Madhusudan Singh says
सुक्रिया मुकांसु जी
अजनबी says
बहुत खूब सर
अजय बजरँगी says
बहुत मार्मिक रचना !
Madhusudan Singh says
आभार अजय जी।
Rekha Sahay says
दर्द भरी दास्तान !
Madhusudan Singh says
हाँ——-धन्यवाद—-