Kaisa bana Insaan

Images credit: Google

Click here to read part..1

वक्त गुजरते देर नहीं लगती,
जिंदगी भी सदैव,
एक समान नहीं रहती,
बहुत दिनों बाद,
आज फिर वह बहुत खुश थी,
आखिर खुश हो भी क्यों ना,
बेटे की नौकरी जो लगी थी,
वो दौड़-दौड़ सबकी मुंह मीठा करती,
बहु-बेटे की ख़ुशी की दुआ करती,
मगर वक्त,
अपनी रफ़्तार से चलता रहा,
गम और ख़ुशी के बीच,
उम्र भी ढलता रहा,
शायद वह सबसे बुरा दिन था,
जब हमसफ़र,
लाठी के सहारे छोड़ गया,
तब से वह अपने,
बेटा-बहु के साथ रहा करती थी,
पोते को देख-देख मगन रहा करती थी।

hqdefault

अचानक एक दिन,
वह जोर से चिल्लाई,
बेटा-बेटा आवाज लगाई,
बेटे को समीप जानकार,
अपने कमजोर हाथों से,
बेटे की गालों को थामकर,
तड़पते हुए स्वर में बोली,
बेटा जब मेरा ये अंग फरका था,
तब हमें छोड़ तु शहर में बसा था,
बेटा आज फिर मेरा वही अंग,
फरक रहा है,
जिसे देख मेरा दिल
तड़प रहा है,
अब तो कहीं हम जा भी नहीं सकते,
फिर ये अंग क्यों
फरक रहा है,
तेरे पापा की यादें बसी थी,
अब वो जहान नहीं,
वही तो एक ठिकाना था,
जिसे बेचकर तुम्हें दे दिया,
अब तो वो मकान नहीं,
फिर ये मेरा अंग क्यों,
फरक रहा है।

बेटा हतप्रभ चुपचाप सुनता रहा,
कैसे समझ गयी माँ सिर धुनता रहा,
पूछ बैठा रेनू से,
क्या तुमने मम्मी से,
कोई बात कही थी,
अगर नहीं तो मम्मी को कैसे पता,
कल ही तो ऑफिस में,
वृद्धाश्रम की बात चली थी,
अब कल जो करना था,
दोनों आज ही करने को ठान लिया,
अपनी बूढी मम्मी को बृद्धाश्रम में,
डाल दिया।

बोला माँ बच्चे पर तेरी,
भाषा असर दिखाती है,
बेहतर घर है माँ जी तेरी,
पुत्रबधु समझाती है,
बूढी आँखें अश्क बहाती,
पोता छोड़ नहीं जाता,
हाय रे जालिम पुत्र तुम्हे,
क्यों माँ पर तरस न आता,
हाय रे जालिम पुत्र तुम्हे,
क्यों माँ पर तरस न आता,
फिर भी माँ मुख दुआ निकलती,
पुत्र सलामत तुम रहना,
मैं खुश हूँ इस घर में बेटा,
मेरी चिंता मत करना,
चिंता बस अब एक हमें,
पोते को कौन खिलायेगा,
दाई-नौकर पता नहीं,
कैसे अब उसे हॅसायेगा,
ऐसी ममता प्रेम की देवी,
कैसे जग को ना भाता,
हाय रे जालिम पुत्र तुम्हे,
क्यों माँ पर तरस न आता,
पुत्र गोद में लिए भटकता,
पूजा के पंडालों में,
पत्नी संग प्रसाद चढ़ाता,
पूजा के पंडालों में,
मिटटी की मूरत है भाती,
दुर्गा,लक्ष्मी कहता है,
जन्म दिया उस माँ दुर्गा को,
बृद्धाश्रम में रखता है,
सभ्य बनाया जिस देवी ने,
उसमें दाग नजर आता,
हाय रे जालिम पुत्र तुम्हे,
क्यों माँ पर तरस न आता,
हाय रे जालिम पुत्र तुम्हे,
क्यों माँ पर तरस न आता।

!!! Madhusudan !!!

20 Comments

Your Feedback