KAISI CHAAHAT ? / कैसी चाहत?

बहुत हुआ अब हमको बाबर जैसा होना चाहिए,
हमें भी गजनी,गोरी सा संहारक होना चाहिए।।
बहुत भले थे खिलजी,लोधी और टीपू सुलतान,
कासिम,तुगलक,मुगलवंश के शासक बड़े महान,
कितने अच्छे कार्य किए कैसे उसको गिनवाऊँ,
उनकी गौरवगाथा को किन शब्दों में दर्शाऊँ,
तोड़ ध्रुव स्तम्भ बनाया कोई कुतुबमिनार,
ढाई दिन का झोपड़ा में है दफन ज्ञानभंडार,
विक्रमशिला,नालंदा का ज्ञानकेंद्र जलवाया,
किसी ने मंदिर तोड़ वहीं पर मस्जिद है बनवाया,
किसी ने कितने मंदिर लुटे शोमनाथ के जैसे,
मथुरा,काशी,अवध सुलगता कीर्ति गाउँ कैसे,
ऐसे कीर्तिवान हमें भी बालक होना चाहिए,
गजनी,गोरी,तुगलक सा संहारक होना चाहिए।
फिर ना होंगे अवध में झगडे ना ही मथुरा,काशी,
गैर धर्म के लोग मिटेंगे खुश होंगे सब वासी,
हमें ना गुप्त,कुषाण,मौर्य सा शासक होना चाहिये,
गजनी,गोरी,तुगलक सा संहारक होना चाहिए।
हे रब कैसा घृणित सोच हमने मन में कर डाला,
इतनी नफरत दिल में कैसे,हमने है रख पाला,
हमें प्रेम हर धर्मों,हर जीवों में तूँ भगवान,
कृत्य लिखते आँसू आते ये कैसा अरमान,
आक्रांता को जोड़ धर्म से हँसते हैं क्यों लोग,
तड़प,वेदना,चीख सुनाई देती क्यों ना शोक,
देख जश्न में हिन्दू-मुस्लिम रोता हिन्दुस्तान,
धर्मांधों की फौज बढ़ी है चीख रहा इंसान,
हे रघुवर हमको ना कासिम,बाबर होना चाहिए,
हे रब अन्तर्यामी अमन का सागर होना चाहिए,
हे रब अन्तर्यामी अमन का सागर होना चाहिए।
!!!मधुसूदन!!!
Waah.
Punah dhanyawad.
उत्कृष्ट अभिव्यक्ति👌🏼 ओर तीखे कटाक्ष के साथ शांति के लिए प्रार्थना , बहुत सुंदर।🙏🏻😊
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सराहने के लिए।
एक सच्चाई है जिसे खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है🙏😊
सच्चाई भी दर्द भी और आज उन्हें आदर्श माननेवाले एवं नफरत पालनेवालों पर आक्रोश भी। धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।🙏
खूबसूरत रचना👌
पुनः धन्यवाद।🙏
प्रेम बाँटने का दायित्व हम,
कब तक सिर पर ढोएंगे ।
अब कोई कंधार और काबुल,
कभी नही हम खोएंगे।
बह जाने दो रक्त धरा पर,
छुद्र पट्टी बन जाए ये ग्रह।
सत्य सनातन की खातिर ही,
नही रुकेगा धर्म चक्र अब।
वाह। वाह। बेहतरीन पंक्तियाँ।
बहुत खूब ।
Very well worded. Your poetry provokes the sleeping silent patriotism and stirs it to action.
Soye ko lagaanaa hi maqsad hai….Ab kise nafrat pasand aur kise prem ….Wey jaane…..Bahut bahut dhanyawad apka.