Maa ka Pyaar

आज इंसान अपनों से कोसों दूर रोजी-रोटी की जुगाड़ में चला जा रहा है,जहाँ अपने माँ बाप को चाहकर भी नहीं रख पाता। माँ-बाप को भी अपना गांव छोड़ा नहीं जाता।अचानक वह इंसान अपनी माँ की मृत्यु की खबर सुन तड़पने लगता है। अब आगे उसी की जुबानी——-

कितने थे अंजान प्रेम से,आज ये हमने जाना है,
ममता की कीमत माँ तेरी,खोकर मैं पहचाना है।
कितनी बातें मैं दोहराऊं,
फिल्म जिगर में चलती है,
बचपन से अबतक की बातें,
आंसू बनकर बहती है,
खबर मिली तुम रूठ गयी,
अब कैसे तुझे मनाऊं मैं,
तड़प रहा है जिगर हमारा,
कहाँ तुझे अब पाऊं मैं,
बोल रहा था साथ चलो पर,
तूने बात नहीं मानी,
शहर की मेरी मज़बूरी को,
माँ तूने ना पहचानी,
अब आऊंगी तब आऊंगी,
उम्र बहुत है बतलाऊँ,
कहकर टाल गई तूं हरपल,
एक हमारी ना मानी,
खोल आँख माँ देख मुझे,क्यों बना दिया अनजाना है,
ममता की कीमत माँ तेरी,खोकर मैं पहचाना है।
खेल में चोट लगी बचपन में,
डर से उसे छुपाया था,
चेहरा देख दूर से तूने,
दर्द मेरा पहचाना था,
बेलन के संग दौड़ गयी थी,
सहम गया क्या ठानी है,
आँख खुला तो पाँव गोद में,
देखा आँख में पानी है,
पैर हमारे साफ़ थी आँचल,
धूल से तेरे सने हुए,
चोट थी मेरे पैर में तेरे,
आँख में आंसू भरे हुए,
तड़प कलेजे लगा के बोली,
लाल कहाँ मैं ले जाती,
अगर तुझे कुछ हो जाती तो,
जान हमारी खो जाती,
कितनी ममता थी मुझसे माँ, आज प्यार वो जाना है,
ममता की कीमत माँ तेरी, खोकर मैं पहचाना है।
जीवन है अनमोल प्रेम का,
मोल लगाऊं मैं कैसे,
तेरी ममता,प्रेम, दया का,
मोल चुकाऊं मैं कैसे,
देर हुई मुझको आने में,
इसकी सजा सुना दो तुम,
बरसों से सुनसान पड़ी,
गालों पर थाप लगा दो तुम,
मौन त्याग उठ देख मुझे
माँ तेरा लाल तड़पता है,
इतना निष्ठुर मत बन माँ,
ये पुत्र तड़पकर कहता है,
माँ तेरी हर थाप की कीमत,आज ये मैंने जाना है,
ममता का कीमत माँ तेरी,खोकर मैं पहचाना है,
ममता का कीमत माँ तेरी,खोकर मैं पहचाना है।
!!! मधुसूदन !!!

37 Comments

Your Feedback