Maa

ऐ माँ बोल बता मुझको मै,तेरा क्या सम्मान करूँ,
ममता,त्याग,तपस्या की माँ,कैसे मैं गुणगान करूँ।
बचपन से तुमसे ही सीखा,
सीख मैं कितना बतलाऊँ,
कितना प्यार किया तुम मुझको,
कैसे उसको दुहराऊं,
मुझे खिलाती फिर तू खाती,
मेरे हक में तू लड़ जाती,
दर्द कभी हो मुझको माँ फिर,
रात तुम्हारी दिन बन जाती,
सच है याद नहीं करता पर,
कैसे तुझे भुलाऊं मैं,
जो बैठा मन-मंदिर मेरे,
कैसे रटन लगाऊं मैं,
तेरी आँचल की छाया का,कैसे किसे बखान करूँ,
ममता,त्याग,तपस्या की माँ,कैसे मैं गुणगान करूँ।1
याद है मुझको ओ पल,
तेरे हाथ में तीन मिठाई थी,
पापा,हमको देकर तेरे,
हिस्से एक ही आयी थी,
अपना हिस्सा बाँध लिया था,
तुमने अपने आँचल में,
अपना हिस्सा खाकर मैं भी,
घूम रहा था आँगन में,
खेल के लौटा भूख लगी थी,
बोला माँ कुछ खाना दो,
आँचल का पट खोल के बोली,
लो बेटा ये खाना लो,
बच्चा था नादान मुझे क्या,
लालच थी मैं बतलाऊँ,
कैसे उस मिठाई की माँ,
कीमत तुमको बतलाऊँ,
घर का कोना-कोना माँ मैं,
भर दूँ आज मिठाई से,
कितना तुक्ष है सारे फिर भी,
तेरी एक मिठाई से,
कितने त्याग को दुहराऊं,कैसे खुद का उद्धार करूं,
ममता,त्याग,तपस्या की माँ,कैसे मैं गुणगान करूँ।2
जग में जन्म लिए कितने पर,
माँ का प्यार नहीं देखा,
थप्पड़,डाँट को तरस गए कुछ,
डाँट में प्यार नहीं देखा,
शहर बना संगमरमर का सब,
पत्थर कैसे बन बैठे,
बृद्धा आश्रम माँ-बाप को छोड़ा,
बज्र कलेजा कर बैठे,
तुम भी हो माँ-बाप ज़रा,
बच्चों के जैसे तुम सोचो,
तेरा भी है सीट वहीँ,
जा बृद्धा आश्रम में तुम देखो,
तेरी मर्जी उसे रुलाओ,मैं तो बस मुश्कान भरूँ,
ऐ माँ बोल बता मुझको मैं, तेरा क्या सम्मान करूँ।ममता,त्याग,तपस्या की माँ,कैसे मैं गुणगान करूँ।3

!!! मधुसूदन !!!

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