डाल पे बैठे,
प्रियतम साथ में,
मैना हरसे।1
बादल देख,
गगन में उड़ते,
रंग बरसे।2
मोहक छटा,
निराली उपवन,
मन बहके।3
प्रिय रिझाती,
उछल-उछल कर,
प्रेम छलके।4
भीगती मैना,
प्रियतम संग में,
हम तरसे।5
बाहर वर्षा,
अंदर बरसात,
रूह जलती।6
सुना बिस्तर,
साजन परदेस
वर्षा डंसती।7
रोजी रोटी में,
यौवन हुआ खाक,
कैसे हँसती।8
अन्न की खान,
निगल गयी गाँव,
अकाल नागिन।9
मैना तुम्हारी,
किस्मत सुनहरी,
मैं अभागिन।10
!!! मधुसूदन !!!
gauravtrueheart says
अमेज़िंग
Madhusudan says
सुक्रिया आपका।
Rekha Sahay says
वाह क्या खूब लिखा है.
Madhusudan says
सुक्रिया आपका।
रजनी की रचनायें says
आपकी रचनाओं में सब कुछ यानी हर तरह का वर्णन मिलता है।
Madhusudan says
प्रशंसा करने एवं पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।