Maut ka Saudaagar
देख मनुज निज आँखों से तूने कैसा जग कर डाला,
अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला,
किन-किन पाप को माफ़ करे रब,कैसा पाप तू कर डाला,
कुम्भकर्ण, रावण, दुर्योधन, कंस को पीछे कर डाला,
अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला |
कितनी सूंदर जहां है ये जिसपर हम प्राणी रहते हैं,
देव,दनुज,गन्धर्व,अप्सरा,दूर से देख तरसते हैं,
हम जिस जहां पे रहते हैं उसे भारतमाता कहते हैं,
पर्वत,नद,जल जिव-जंतु संग पेड़ की पूजा करते हैं,
स्वर्ग से सुन्दर इस धरती को तूने मरघट कर डाला,
अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला |
जाति का अम्बार लगा है,टुकड़ों में संसार बटा,
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई धर्मों में इंसान बटा,
मौत से लड़ती मानवता अब,रोज नयी एक बस्ती में,
इंसानों को खोज रहे हम इंसानो की बस्ती में,
एक जगत भगवान् एक मानुष टुकड़ों में कर डाला,
अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला |
अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला |
कितना पाप किया रे मानव ,कितना तुझे गिनाऊँ मैं,
बिकसित खुद को कहने वाले, कैसे तुझे बताऊँ मैं,
पर्वत,नद,जल जिव-जंतु संग, पेड़ तुम्हारे साथी हैं,
बिना लोभ जीवन देते ये, बन बैठा क्यों घाती है,
बिकसित खुद को कहनेवाले, हवा कहाँ से लाएगा,
आसमान में उड़नेवाले, प्यासा तू मर जाएगा,
परमाणु के गोद में तूने इस धरती को रख डाला,
अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला |
अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला |
होश में आजा मानव अब तू बुद्ध,राम को याद करो,
दुखिआरी शबरी जो जग में उनका तुम संताप हरो,
सत्य-अहिंसा मार्ग प्रबल है,हर जीवों पर दया करो,
नदियाँ,पर्वत,पेड़ में रब हैं, प्रेम सभी से किया करो,
खुद का दुश्मन इस जग को भी, तूने मरघट कर डाला,
अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला |
अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला |
!!! मधुसूदन !!!
वर्तमान समय का बहुत ही ठीक वर्णन किया है।बहुत खूब ।समाज को जाग्रत करने वाली रचना।
आभार—–हौसलाअफजाई के लिए सुक्रिया।
Nice BLOG!!! ADD my BLOG too!!! Kisses <3 <3 <3
👏👏👏 बढ़िया!!!
आभार आपका—-💐 पसंद आया—-💐💐
सराहनीय , एक अच्छा सन्देश 😊😊😊
आभार अजय जी हौसला बढ़ाने एवं पसंद आया —-
जागरूकता भरी बातों से लबरेज़ है आपकी कविता—-
अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला |
धन्यवाद ——पसंद आया —–साथ ही हौसलाअफजाई के लिए—-
Bahut Sundar likha hai sir
आभार सर💐
शानदार
आभार अशोक जी
Wonderfully written
Thank you ……
पर्यावरण रक्षण का अच्छा प्रयास है आपका👍👍👍
आभार आपका मुकांसु जी—–
मैंने भिखारी पर कॉमेंट्स किया दिख नहीं रहा है और किसी के पोस्ट पर कॉमेंट्स किया हुआ नहीं दिख रहा है । क्या आपको दिख रहा है?
जी नही दिखाई दे रहा है आपका कमेंट ।
Koyee problem hua hoga….thanks
😊🙏🙏🙏