MERE GANESHA/मेरे गणेश

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किसके क्या तुम नही जानते,

केवल मूरत नही मानते,

जनम-जनम का सेवक मैं,तूँ

आका,प्रभु,प्राणेश,

ऐ विघ्नेश,

कर तूँ दूर हमारे सारे कष्ट,क्लेश,

ऐ विघ्नेश।

तुम गौरी के प्राण प्यारे,

विघ्नेश्वर तुम, कहते सारे,

रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दाता,

बल,बुद्धि,धन,जन सुखदाता,

एकदन्त,हे महाकाय

हैं तेरे पिता महेश,

ऐ विघ्नेश,

कर दे दूर हमारे सारे कष्ट,क्लेश,

ऐ विघ्नेश।

हे गणनायक,धर्म के रक्षक,

देख धर्म के बढ़ गए भक्षक,

कर उपकार जीर्ण तन हारे,

अब हम आए शरण तुम्हारे,

करो अनुग्रह वर दो,कर तुम,

दैत्य मुक्त फिर देश,

ऐ विघ्नेश,

कर तूँ दूर हमारे सारे कष्ट,क्लेश,

ऐ विघ्नेश।

!!!मधुसूदन!!!

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