KASHMKASH
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हम मुसाफ़िर सफर जिंदगी का,
राह मे थे खड़े,
दूर मंजिल मगर रास्ते दो,
थे कदम रुक गए।
सत्य का एक डगर,
राह काँटों भरी,
चाह मंजिल मगर,
मुश्किलों से भरी,
दूजा आसान मंजिल,
नजर आ रही,
छल कपट थी हमें,
ज्ञान सिखला रही,
कशमकश में था मन क्या करें हम,
थे सफर में खड़े,
दूर मंजिल मगर रास्ते दो,
थे कदम रुक गए।
छल से माना कि मंजिल,
तो मिल जाएगी,
पर तजे सत्य जीवन,
बिफल जाएगी,
ये भी सच है कि है सत्य,
कांटो भरा,
झूठ की राह से,
दिल भी घबरा रहा,
कशमकश बीच भंवर,
स्वार्थ में फंस गए,
दूर मंजिल मगर रास्ते दो,
थे कदम रुक गए।
आत्मा सत्य है,
सत्य परमात्मा,
सत्य की राह में ही,
मिलेगी जहां,
बुद्ध भी थे अकेला,
अडिग सत्य पर,
राम भी तो चले थे,
उसी राह पर,
सत्य हरिश्चन्द्र की,
सत्यता याद कर
मोरध्वज भक्त की,
सब कथा याद कर,
मन को झकझोरता आत्मा फिर ,
राह में क्यों खड़े,
कशमकश मिट गया मन से मेरे,
सत्य पर चल पड़े।
!!! मधुसूदन !!!
Bahot khoob sir.. kashmkash mein to aaj Kal har insaan Hai,par ap ne Satya rah chuni aur bayan ki use padh kr accha lga aur mja Aya !
achha lagaa jaankar ki aapko achchha lagaa…..sukriya apka pasand karne ke liye.