2 October

Image credit :Google बार-बार आईने में, घंटों अपना मुंह देखता, भिन्न-भिन्न जूतों से, कपड़ों का अपने मिलान करता, बामुश्किल सजकर अपने कमरे से, लंदन की गलियों में निकलता, तब जिसे लोग मोहनदास कहते, कौन जानता था आगे चलकर उसके हाथों में, वकालत की किताब की जगह एक लाठी होगी, सूट-बूट और टाई की जगह, बदन […]

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ISHWAR SATYA HAI..1

जो दिखता है वही सत्य, एवम न दिखनेवाली वस्तु असत्य कैसे, आसमान में तो अनगिनत तरंगे विद्यमान है मगर हम उन्हें देख नहीं पाते, इसका मतलब ये तो नहीं कि तरंगे नहीं हैं, अगर टीवी,रेडियो नहीं होते तो हम ज्ञानी शायद उसे भी नकार देते, ज्यादा ज्ञानवान लोग हर चीज का प्रमाण माँगते हैं चाहे […]

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Kisaan ki Byathaa

आज अन्नदाता किसान मानसून से जुआ खेलते-खेलते अपना धैर्य खोते जा रहे हैं।उनमें से अधिकतर कर्ज में डूब जानवर से भी बदतर जिंदगी जीने को बेबस हैं।उन्हीं किसानों की बिबसता दर्शाने का एक छोटा प्रयास—

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Helpless Pen

लोकतंत्र का मंदिर संसद,पत्रकार स्तंभ, ऊपर से मजबूत,जीर्ण हैं भीतर से ये खम्भ। मानवता का नाम जुबाँ पर, मानव से क्या काम, अपनी-अपनी ख्याति में सब, भूल गए इंसान, धर्म बना है आज एजेंडा,आंखें हैं अब नम, ऊपर से मजबूत,जीर्ण हैं भीतर से ये खम्भ। चीख रहा है कोरा कागज, कलम गुहार लगाता, शब्द तड़पता […]

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