PATTHAR/पत्थर

मैं तुक्ष,
राहों में बिखरा मामूली पत्थर,
मर्जी तेरी ईश्वर मान मंदिर में स्थापित कर,
महल बना या सेतु,
मगर
अरे हाड़-मांस के बने
सभ्य और संस्कारी मानव,
मुझे किसी की हत्या का कारण मत बना,
माना मैं निर्जीव बिना जान का,
मगर तुझे क्या पता,
तेरी खुशियों में मैं भी,
खुश होता हूँ,
और जब
किसी निर्दोष की हत्या में हमें,
अपना साझीदार बनाता है,तो अरे बेखबर,
औरों की तरह मैं भी रोता हूँ,
मैं भी रोता हूँ।
!!!मधुसूदन!!!
Most heart touching poem.
Dhanyawad apka.
आदि काल से ही संतों पर अत्याचार हुआ है।
पर पहले उन पर आरोप तक ही लगते थे। अब तो आत्मघाती हमले के साथ हत्या भी होने लगी है। गौतम बुद्ध वे वैश्यावृति, शंकराचार्य पर बलात्कार, स्वामी नित्यानंद पर अश्लील वीडियो, कृपालु जी महाराज पर बलात्कार और पत्नी कि हत्या का आरोप, आशाराम बापू पर बलात्कार की सजा पर एफ.आई.आर और मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार का जिक्र ही नहीं है।
यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है। मैं खुल कर कहता हूँ। वसुधैव कटुम्बकम का रास्ता नहीं है।
नि:शब्द कर देती है कुछ चीजे🙏🙏😑😑😑
आपका कहना अपने जगह सही है और सब जांच का विषय। मगर अफशोष जांच एजेंसियां निष्पक्ष नही। मगर वर्तन में जो हालात दिखे वह मानवता पर कलंक है। धन्यवाद आपका।
एक दम सही🙏
Bhut Sundar Sir !!
👌🏻👌🏻 नया और सार्थक नज़रिया
बस एक प्रयास उस दर्द पर। आखिर हर बात पर पत्थर क्यों।