
मैं तुक्ष,
राहों में बिखरा मामूली पत्थर,
मर्जी तेरी ईश्वर मान मंदिर में स्थापित कर,
महल बना या सेतु,
मगर
अरे हाड़-मांस के बने
सभ्य और संस्कारी मानव,
मुझे किसी की हत्या का कारण मत बना,
माना मैं निर्जीव बिना जान का,
मगर तुझे क्या पता,
तेरी खुशियों में मैं भी,
खुश होता हूँ,
और जब
किसी निर्दोष की हत्या में हमें,
अपना साझीदार बनाता है,तो अरे बेखबर,
औरों की तरह मैं भी रोता हूँ,
मैं भी रोता हूँ।
!!!मधुसूदन!!!
aruna3 says
Most heart touching poem.
Madhusudan Singh says
Dhanyawad apka.
ShankySalty says
आदि काल से ही संतों पर अत्याचार हुआ है।
पर पहले उन पर आरोप तक ही लगते थे। अब तो आत्मघाती हमले के साथ हत्या भी होने लगी है। गौतम बुद्ध वे वैश्यावृति, शंकराचार्य पर बलात्कार, स्वामी नित्यानंद पर अश्लील वीडियो, कृपालु जी महाराज पर बलात्कार और पत्नी कि हत्या का आरोप, आशाराम बापू पर बलात्कार की सजा पर एफ.आई.आर और मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार का जिक्र ही नहीं है।
यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है। मैं खुल कर कहता हूँ। वसुधैव कटुम्बकम का रास्ता नहीं है।
नि:शब्द कर देती है कुछ चीजे🙏🙏😑😑😑
Madhusudan Singh says
आपका कहना अपने जगह सही है और सब जांच का विषय। मगर अफशोष जांच एजेंसियां निष्पक्ष नही। मगर वर्तन में जो हालात दिखे वह मानवता पर कलंक है। धन्यवाद आपका।
ShankySalty says
एक दम सही🙏
Shailendra Sharma says
Bhut Sundar Sir !!
Rajiv Sri... says
👌🏻👌🏻 नया और सार्थक नज़रिया
Madhusudan Singh says
बस एक प्रयास उस दर्द पर। आखिर हर बात पर पत्थर क्यों।