SANTAAN/सन्तान

एक पूरब दूसरा पश्चिम,जिन्हें बाँध रखा,
अपनी दोनों भुजाओं में,
मैं  वो आपका
जादुई सामान हूँ,
कहने को आपका छोटा बच्चा,
जिसके दोनों गालों को पकड़ प्रेम से कहते,कबाब में हड्डी,
मगर मैं ही आपदोनो का सारा जहान हूँ।
मैंने मुस्कुराना सीखा,
आपदोनो को हँसते मुस्कुराते देखकर,
मैंने बोलना,गुनगुनाना सीखा,
आपदोनो को बोलते,गुनगुनाते देखकर,
मैं जीना सीख रहा,आपको जीवन जीते देखकर।
मैं प्रतिफल हूँ,आपदोनो के प्रेम का,
जो बन गया हूँ वो कड़ी,जिसे तोड़ पाना मुश्किल,
इतना प्यार दूँगा आपदोनों को
कि हमें छोड़ पाना मुश्किल,
मैं रहता हूँ सदैव आपके बीच में,
ताकि आपदोनों को अपना प्यार दे सकूँ,
आपदोनों का प्यार  ले सकूँ,
कर सकूँ स्पर्श आपदोनों को,
और पा सकूँ असीम प्रेम,
मैं इसलिए भी रहता हूँ आपके बीच में,
ताकि आपदोनों में इंतेजार बना रहे,
ताकि आपदोनों में प्यार बना रहे,
अगर मैं किनारे आ जाऊँ,अम्बर के उस पार,
तब धरती तड़प उठती है,
मैं किनारे आ जाऊँ,
धरती के इस पार,
तब अम्बर बरस उठता है,
अतः मैं रहता हूँ सदैव बीच में,
ताकि कुछ धरती करीब आती रहे,
कुछ अम्बर करीब आते रहे,
और हमसब सदैव यूँ ही मुस्कुराते रहें
हमसब सदैव यूँ ही मुस्कुराते रहें।
!!!मधुसूदन!!!

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