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जबतक दीपावली मनानेवाले लोग होंगे
तबतक प्रभु राम होंगे,
जब दीपावली मनानेवाले लोग नहीं होंगे
तब भी प्रभु राम होंगे,
जब वे मानव रूप में आये थे
तब भी कुछ लोग उनको नहीं समझ पाए,
अब इस कलियुग में प्रभु राम आ भी जाएँ तो
पहचानेगा कौन?
आज अयोध्या प्रभु राम के आगमन पर
पूर्व की तरह सजी है
अगर राम आ भी जाएँ तो रहेंगे कहाँ—?
मामला उनके घर का कोर्ट में लंबित है।
कहनेवाले कहते हैं कि
राम कहाँ नही हैं वे तो कण-कण में बसते हैं
मगर कोई ये नहीं सोचा कि
जो सबके दिल में बसता है उसका दिल
कहाँ बसता है–?
आज मर्यादित रावण नही फिर ये मर्यादा कैसा?
हे राम काश आप आ ही जाते,
या मर्यादा में रहने की जो लत हमें लगा गए हैं
उसे ले जाते,
फिर वर्षों से चली आ रही ये बहस नही होती
तब मक्का और यीशु मसीह के जन्म स्थान की तरह
आज आपकी और हमारी ये अयोध्या
चमक रही होती,
तथा आपके दिल मे इतनी पीड़ा भी नहीं होती।
!!!मधुसूदन!!!
jabatak deepaavalee manaanevaale log honge
aaj maryaadit raavan nahee phir ye maryaada kaisa?
he raam kaash aap aa hee jaate,
ya maryaada mein rahane kee jo lat hamen laga gae hain
use le jaate,
phir varshon se chalee aa rahee ye bahas nahee hotee
tab makka aur yeeshu maseeh ke janm sthaan kee tarah
aaj aapakee aur hamaaree ye ayodhya
chamak rahee hotee,
tatha aapake dil me itanee peeda nahin hotee.
!!!Madhusudan!!!
aruna3 says
बहुत सुन्दर अभिवयक्ति।
Madhusudan Singh says
आभार आपका आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए।
Shantanu Baruah says
क्या ख़ूब कहा हे मेरे दोस्त
Madhusudan Singh says
Pasand karne aur sarahne ke liye bahut bahut dhanyawad apka.
VIJAY KUMAR SINGH says
बहुत सही बात कही आपने. अगर राजनीति न होती और सच्चे मन से कार्य किया गया होता तो अबतक मंदिर बन चुका होता.
Madhusudan Singh says
बिल्कुल।धन्यवाद सर पसन्द करने और सराहने के लिये।
Anonymous says
अतिसुंदर ईश्वर की तरह 🙏🙏रचना
Madhusudan Singh says
धन्यवाद आपने पसन्द किया और सराहा।🙏🙏
Abhay says
Bahut khoob hai Bhai!
Madhusudan Singh says
Dhanyawad bhayee pasand karne ke liye.
Abhay says
🙏
ShankySalty says
सर, मैनें इसे YourQuote पर पढ़ा। और मेरा यह परम सौभाग्य है कि मैं इसे WordPress पर पुनः पढ़ रहा हूं। भगवान श्रीरामचंद्र कहीं बसे या ना बसे। पर मुझे पूर्ण विश्वास है कि रामचंद्र जी आपके पंक्तियों में बसते है।
Madhusudan Singh says
धन्यवाद आशीष जी आपने लेखनी पसन्द किया।वैसे सच कहूँ तो आज हमारे और आपके साथ साथ हमारी लेखनी भी तड़प रही है।
आज भी ना डर रावणों से है ना शक प्रभु राम के मंदिर बनने पर है। हमें तो दर्द सिर्फ अपनों से है।