2 October
Image credit :Google बार-बार अपने आईने में, घंटों अपना मुंह देखता, भिन्न-भिन्न जूतों से, अपने कपड़ों का मिलान करता, बामुश्किल सजकर अपने कमरे से, लंदन की गलियों में निकलता वह इंसान, जिसे मोहनदास के नाम से जाना जाता था। कौन जानता था, आगे चलकर हांथो में उसके वकालत की किताब की जगह एक लाठी होगी, […]
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