ANKHEN/आँखें

मेरे प्रिय मित्र,भाई और ब्लॉगर निमिष जी ने अपने ब्लॉग पर एक कविता प्रकाशित की जिसका शीर्षक है “आँखें” जिसे पढ़ कुछ शब्द निकल पड़े। प्रस्तुत है:- पता नही पर्वत की चोटी पर जमी बर्फ कैसे पिघली,और कैसे उसे सहेज असंख्य पत्थरों,चट्टानों को लांघते,इठलाते,बलखाते,उन्मुक्त बहनेवालीमीठे जल की मल्लिका निर्झरणी,सागर से जा मिली,कभी पूछना!कभी पूछना उसनेउस […]

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ANKAHA PREM/अनकहा प्रेम 2

एक पवन का झोंका आया,जिसने मेरा मन भरमाया,पल दो पल का मेल पता ना,जीवन का कब सार हुआ,पता नही कब दिल खो बैठे,पता नही कब प्यार हुआ।मैं राही अनजान डगर था,अनजाना एक साथ सफर था,मंजिल से बेखबर चले पग,थकन कहाँ हर कदम जशन था,जब रोते वे हम रो जाते,वे हँसते तो हम मुस्काते,पता नही कब […]

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Wada/वादा

जिंदगी है तूँ मेरी,इतना भी समझ न पाए,फिर लफ्जों से बयान क्या करना,जब आँखों में देख ना पाए समर्पण मेरे,फिर वादों का ऐतबार क्या करना।तुम वृक्ष हो मैं छाया,मैं मय तुम प्याला,अगर तुम मिट गए तो हम बिखर जाएंगे,तुझे खोना तो दूर,तुम रूठे तो मर जाएंगे,तेरी अहमियत कितना मेरे जीवन में जब,अबतक समझ न पाए,फिर […]

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TAHKHAANAA/तहख़ाना

जब भी हम उनसे मिलते थे,नित्य नए परतें खुलते थे,उन परतों में उलझ गए दिल जिसका हुआ दीवाना था,समझ सके ना उनको,उनका दिल कोई तहख़ाना था।झील सी गहरी आँखें,जितना देखूँ डूबता जाऊँ,केश घने जैसे घन में अमीकरवैसे खो जाऊँ,मदहोशी क्या मैं बतलाऊँ,पाँव जमीं पर मैं ना पाऊँ,हूर परी,तिल होठों पर, कातिल उनका मुस्काना था,समझ सके […]

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