MURLIDHAR/मुरलीधर

नटखट,बाल-गोपाल कहे कोई तुमको चितचोर,2बता किस नाम से तुझे पुकारूँ,तूँ देखेगा मेरी ओर।मात,पिता जहाँ कैद जेल मेंजड़ें सात थे ताले,वैरी था महिपालसजग उसके लाखों रखवाले,तेरे आते खुल गए ताले,सो गए नींद में प्रहरी सारे,अचरज ही अचरज तेरीदृष्टि होती जिस ओर,मातम मथुरा जश्न नन्द घर बाजे डमरू ढोल,बता किस नाम से तुझे पुकारूँ,तूँ देखेगा मेरी ओर।आज […]

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KANHA/कान्हा

मैं मानव हूँ क्षुद्र जनम से,ज्ञानेश्वर दो ज्ञान की शक्ति,हूँ पापी मैं सच जितना उतनी ही सच्ची मेरी भक्ति।ईर्ष्या,द्वेष,कपट,छल मुझमें,प्रेम सरोवर भर दो तुममैं कान्हा दुर्योधन जैसा,अर्जुन मुझको कर दो तुम,मैं हूँ क्षुद्र,नीच,पापी जन,सब माया तेरी यदुनन्दन,हे कृष्ण,हरि,कमलनाथ दे,इस माया से हमें विरक्ति,हूँ पापी मैं सच जितना उतनी ही सच्ची मेरी भक्ति।तेरा ही सब मैं […]

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Mere Shyam/मेरे श्याम

जिनके होने से ही होती है विहान,वो मेरे श्याम साँवरे,जिनका नाम जपूं हर पल मैं शुबहों-शाम,वो मेरे श्याम साँवरे।प्रेममय थिरकती मीरा,मोहन मानो साथ में,दे दिया था प्याला विष का राणा उनके हाथ में,माहुर बना दिया था सुधा के समान,वो मेरे श्याम साँवरे,जिनके होने से ही होती है विहान,वो मेरे श्याम साँवरे।सन्धि का प्रस्ताव ले आये […]

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SANDESH/संदेश

कितने विवश थे सिंघासन और हस्तिनापुर से बंधेभीष्म,द्रोण,कृपाचार्य,अश्वस्थामा जैसेपरमशक्तिशाली महापुरुष,और महर्षि विदुर जैसेमहाज्ञानी भी,जो स्वयं को मिटा तो सकते थे, मगर अपने वचनों से पीछे हटना नामुमकिन।वे अपनी आँखों कुल का अपमान होते देखते रहे,गलत था दुर्योधन,पुत्रमोह से ग्रसित थे धृष्टराष्ट्र,शकुनि की कुटिलता,कर्ण की सोच,सब समझते हुए भी विवश,अधर्म संग रहते रहे,और अंत में वही […]

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