Karaagrih
कारागृह में जन्म लिया, उसकी मैं कथा सुनाता हूँ, कृष्ण,कन्हैया,गोवर्धन भगवान की कथा सुनाता हूँ। सात-सात थे दरवाजे, जिनपर थे ताले जड़े हुए, एक से बढ़कर एक जहाँ पर, पहरेदार थे खड़े हुए, ऐसे कारागार में बन्दी, मात-पिता जंजीरों में, कैसा वह इंसान गर्भ में, क्या लिखा तकदीरों में, दुश्मन कैसा मथुरा का वह, शक्तिशाली […]
Posted in Dharm-Parampra24 Comments on Karaagrih