Bhatkata Dharmo me Insaan

डाल बदला है तू पर तना है वही, घर बनाया नया, पर घराना वही, कैसी गफलत में हैं फिर भी सारे,तेरे पूर्वज वही जो हमारे। याद कर जंगली थे कभी हम सभी, जानवर की तरह लड़ रहे थे कभी, जीव-जंतु, नदी, बृक्ष, पर्वत, हवा, रब दिया स्वर्ग सी खूबसूरत धरा, मुर्ख थे खुद की मैयत […]

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Agyaani

जंगल-जंगल भटक रहा था, जंगली था इंसान, ज्ञान दिया भगवान ने हमको, बना दिया इंसान, फिर भी बदला क्या इंसान,फिर भी ना बदला इंसान। ऊंच-नीच का भेद मिटा, हर रिश्ते को समझाने को, राजतिलक का त्याग किया, मानव को पाठ पढ़ाने को, किसी ने शूली चढ़ हमसब को, मानवता का ज्ञान दिया, सत्य,अहिंसा का रब […]

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