Achraj mat karna/अचरज मत करना

अभी मरघट में जगह शेष,वे उपलब्धियाँ गिनाने लगे,हम घरों में कैद कोरोना से लड़ें या भूख से,या सड़कों पर करें मौत से जद्दोजहद,उन्हें क्या,वे अब राजनीत अपना चमकाने लगे।कोरोना का नित्य बढ़ता ग्राफ,बुझते दीपक,सिकुड़ते बेड,वीरान होते घर!और होती सिर्फ राजनीत!ऐसा नही कि समाजसेवियों का अकाल हो गया,ऐसा भी नही की राजनीति में सिर्फ,चोर,डकैत,बलात्कारियों का ही […]

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UMMID/उम्मीद

सजल नैन,बालम परदेस,दशा डराए। बंद शहर,कोरोना का कहर,नींद न आए। अस्थिर मन,हिमालय सा अटल,किसे दिखाएँ। आह!नियति,संकट में है प्राण,कोई बचाए। रब की पूजा,करते निशदिन,चैन ना आए। बंद झरोखे,गरजते बादल,हवा डराए। ढाढ़स देते,आएगा मधुमास,लोग जो आए। अकेलापन,अपनो की है भीड़,कौन हँसाए। !!!मधुसूदन!!१

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VIPLAV/विप्लव

ये आहट प्रलय या कर्मों की सजा है,या कोई सबक या कयामत की निशा है।है क्या ये सबकी समझ से परे,शीतल हवा भी जहर से भरे,सूनी हैं सड़कें,गलियाँ वीराना,कैदी बना है ये सारा जमाना,क्रंदन,शवों में ये सिमटा जहाँ है,ये आहट प्रलय या कर्मों की सजा है।दिनकर किरण,चन्द्र की कौमुदी से,कैसा तिमिर ना डिगे इस महि […]

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AAWO MILKAR DIYA JALAYEN/आओ मिलकर दिया जलाएँ

देखो आया संकट भारी,जूझ रही है दुनियाँ सारी,एक अदृश्य रिपु दिल दहलाया,मानव को ही अस्त्र बनाया,वक्त विकट,विकराल रिपु,आ संयम अपना हम दिखलाएँ,विश्व ससंकित,दहशत में जग,आओ मिलकर दिया जलाएँ।वक़्त नही ये द्वंद्व का नफरत छोड़,त्याग दिखलाओ प्यारे,अगर बचे तो फिर लड़ लेंगे,खुद को अभी बचा लो प्यारेछोड़ो हठ मत कर मनमानी,धर्म कहा कब कर शैतानी,मान जगत,रब […]

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TABLIGHI JAMAAT/तबलीगी जमात

मजहबी जलसा इंसानियत पर भारी हो गया,वाह रे तबलीगी जमात तूँ अकेला हीभारत पर भारी हो गया।ताज्जुब नही हमें,चहुँओर होते शोर का,तेरे कुतर्कों,मुरखपन के जोर का,बेशक कातिल है तूँ फिर भी तुझे धर्म से जोड़,कई और तेरा साथी हो गया,वाह रे तबलीगी जमात तूँ अकेला हीभारत की उम्मीदों पर भारी हो गया।जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना […]

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Vikas ya Vinash/विकास या विनाश

विकास रुक गई या विनाश,मुद्दतों बाद आसमान साफ,वृक्ष धूल मुक्त,शांत वातावरण,शोर मुक्त बयार,चिड़ियों के झुंड उन्मुक्त उड़ते,मनमर्जी सड़कों पर टहलते,ऐसी शांति को देखजंगली जीव भी हरकत में आए,जंगलों को छोड़ कुछ जीव मानो दूत बन,हमारा हाल देखने शहर को आए,मगर हमारा दुर्भाग्य देखो,चेहरों पर नकाब,अपनों के पास बैठना तो दूर,खुद का चेहरा छूना भी मुहाल […]

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CORONA/कोरोना

घर में आग लगी,बाहर कोरोना खड़ी,बेबस घर का मुखिया,व्याकुल जन अपार,हाय!इस वक़्त भी राजनीति!जब मची है चीख,पुकार।संकट की घड़ी में नियम नही चलते,हर कदम पन्नो को देख नही बढ़ते,संयमित रहना फर्ज बन जाता है,पिता खाली हाथ लौटे काम से,बेटा भूखे सो जाता है,सो जाती है पत्नी भूखी,कोई आरोप नही लगाती,जिस्म होता स्थिर मगर आंखों मेंनींद […]

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