DARD

Image Credit :Google फूल सी कोमल एक कलि मखमल के गलीचे को रोज भिगोती, दारुण दर्द छीपे दिल में सब रात अँधेरी उजागर होती। बादल भी गरजे,बरसे, नदियाँ मिली तोड़ के बाँध पयोधि, देहरी बाँध न लांघ सकी, अबला ना गरज दिल खोल के रोती, प्रेम मगन दिन सास-ससुर संग रात अँधेरे में सेज भिगोती, […]

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