ATMAHATYA/आत्महत्या
स्तब्ध हूँ, इस तरह चले जाना तेरा ठीक नही,माना जीवन क्षणभंगुर मगर,इस कदर अपनों कोतड़पाना भी तो ठीक नही,काश अपनी मजबूरियाँ अपनों को बताते,कोई न कोई राह जरूर निकल आते,थोड़ी सी चोट और छलक जाते हैं आँसू,छुपाता कोई बिस्तर भिगोता है,तुम तो मर्द है,क्या हुआ,ऐसे लड़कियों की तरह रोता क्यों है?कुछ ऐसा ही कहा जाता […]