Kisaan ki Byathaa

आज अन्नदाता किसान मानसून से जुआ खेलते-खेलते अपना धैर्य खोते जा रहे हैं।उनमें से अधिकतर कर्ज में डूब जानवर से भी बदतर जिंदगी जीने को बेबस हैं।उन्हीं किसानों की बिबसता दर्शाने का एक छोटा प्रयास—

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Kisaan aur Mansoon

मानसून हर बार कडा एक्जाम लेता है, मज़बूरी है कृषक का सीना तान लेता है| ग्रीष्म का तांडव देख के, धरती का भी फटा कलेजा था, जीव,जंतु संग मानव पर भी, मौत ने डाला डेरा था, इंतजार अब ख़त्म मेघ बौछार करता है, मज़बूरी है कृषक का सीना तान लेता है| सूखे चारे खा खाकर […]

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