Kaisa Shreshth/कैसा श्रेष्ठ

Image Credit :Google सभ्य अगर होते हैं ऐसे, पग-पग पर जँह भय और संसय, जहाँ पता ना कहाँतलक गिर जाएँगे हमलोग, जहाँ सशंकित हमसे,बहना,माता,वृद्ध,किशोर, फिर तो हमसे बेहतर थे सच में कल के जंगल के लोग।1 राह भटक एक परे लोक से, यहाँ मुसाफिर आया, गली-गली में मन्दिर मस्जिद देख बहुत चकराया, देखा सबके घर […]

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Maut ka Saudaagar

देख मनुज निज आँखों से तूने कैसा जग कर डाला, अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला, किन-किन पाप को माफ़ करे रब,कैसा पाप तू कर डाला, कुम्भकर्ण, रावण, दुर्योधन, कंस को पीछे कर डाला, अपनी हाँथों से खुद अपने, मौत का सौदा कर डाला | कितनी सूंदर जहां है ये जिसपर […]

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