Majduron ka kaun?/मजदूरों का कौन?

आज मजदूरों की भयावह स्थिति हो गई है। मकान मालिक किराये नही छोड़ रहे, कार्यस्थल पर ताले जड़े, मालिक तनख्वाह नही दे रहा, सरकार की सहायता उन तक पहुंचना मुश्किल,सारे वादे और उसे पूर्ण करनेवाले सियासत में मशगूल,अपने पूरे परिवार,बच्चों संग पैदल चलने को विवश मजदूर।सरकार के पास मौका था उन्हें अपने घर तक पहुंचा […]

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BEBAS MAJDOOR/बेबस मजदूर

दर्दे-गम बहुत है गिनाऊँ कैसे,मजबूर हुआ खुद को बचाऊँ कैसे। हल,कुदाल,घन,चक्की चलाते,तपती हुई भट्ठी में तन को गलाते,टप-टप पसीने टपकते रहे,जलता लहू फिर भी हँसते रहे,मजदूर हूँ खुद को मजबूर नही माना,भीख किसे कहते हैं मैंने नही जानास्वाभिमानी हम भी,स्वाभिमान दिखाऊँ कैसे,मजबूर हुआ खुद को बचाऊँ कैसे। खाते में व्यापारी तनख्वाह नही डालते,शोषण कितना,क्या बताऊँ,क्या […]

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भूख/BHUKH

आपदा भारी,मजबूर सभी,बेबस कौन?ये सवाल ना पूछो,लाचारी सर्वत्र है फिर भी,मजदूरों के हालात ना पूछो।मशीन एक लोहे की,दूजा हाड़-मांस का,संकट में वतन,मशीनों के जज्बात क्या,ताले जड़े कर्मस्थल पर,अल्लाह कहाँ मलिकार ना पूछो,लाचारी सर्वत्र है,मजदूरों के हालात ना पूछो।ऐ दिल मत रो,तेरा कोई दातार नही,भूख तो सर्वत्र तांडव करती,तेरा कोई घर-द्वार नही,यही बात खुद को समझाते,लाख […]

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MAZDOOR/मजदूर

मजदूरों की ख्वाब,दशा,कैसी हालात सुनाएँ रे,कदम वहाँ चल देते उनकी रोटी जहाँ बुलाये रे |२तपती भट्ठी बदन गलाते,दो रोटी फिर मुँख में आते,अगर मिला मजदूरी निसदिनखुद-किश्मत वे खुद को पाते,मगर आज उस रोटी पर भीदेखो कैसी शामत आई,सुविधाओं का शोर बहुत,क्या साधन उनके दर तक आई?दिनकर उगता,चाँद निकलता,तम नागिन बन पल,पल डँसता,विवश छलकते आँसूं दर्द […]

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