AYE KAISA NPR/ये कैसा एन.पी.आर?
शोर चहुँओर तड़प,चीख और पुकार, किंकर्तव्यविमूढ़ जन,ये कैसी तकरार? ये तेरा एन.पी.आर,ये मेरा एन.पी.आर! युग बदल गए कई ना घटती आफतें, मकड़ियों सी जाल बुन रही सियासतें, जब भी बढ़ा दर्द बेबसी में रो दिए, स्वांग आँसुओं का दिखाती सियासतें, अबतलक समझ सके ना हमने टोपियाँ, अश्क भरे नैन,दम्भ में है टोपियाँ, जल रही धरा,कफ़न […]