TEDHE MEDHE RASTE/टेढ़े मेढ़े रास्ते

जिंदगी ये दौड़ चली,
ख्वाहिशों को पंख लगी,
है अनन्त दूर गगन,
जिसको चूमने की लगन,
पाँव चल पड़े निड़र,
ना पूछ चल पड़े किधर,
है नैन में मुकाम कई,सुप्त कई चाहतें,
दिल में मगर अब भी वही टेढ़े मेढ़े रास्ते,वो टेढ़े मेढ़े रास्ते।
राह वही जिस धरा ने ,बचपना सँवार दी,
भूल जाऊँ कैसे जिसने इतना हमें प्यार दी,
अब भी हर गली-गली में अपनी है निशानियाँ,
तुम मिले जहाँ वहीं दबी कई कहानियाँ,
तुम गए जहाँ सनम,चल पड़े वहीं कदम,
हैं चमचमाते राह कदम सिर्फ ये तेरे वास्ते,
दिल में मगर अब भी वही टेढ़े मेढ़े रास्ते,वो टेढ़े मेढ़े रास्ते।
है भीड़ बहुत लोग यहाँ कौन हमें जानता,
मतलबी यहाँ पर सभी,कौन अपना मानता,
चल वहाँ जहाँ पर सभी नाम से हैं जानते,
ढह गए जो भीत देख आज भी पुकारते,
जिस्म यहाँ,रूह वहाँ,दिल में बसे राह जहाँ,
कब दिए सुकून ये गगन चूमती इमारतें,
चल बुला रही है वही टेढ़े मेढ़े रास्ते,चल बुला रही है वही टेढ़े मेढ़े रास्ते।
!!!मधुसूदन!!!
हृदयस्पर्शी उत्तम रचना 👏👏
Bahut bahut dhanyawad apka sarahneey ke liye.
Kyaa baat….Aisi rachnaa jise baar baar padhne ko dil kartaa hai. Bahut sundar.
Bahut bahut dhanyawad apka pasand karne aur sarahneey ke liye.🙏🙏
सच और खूब सूरत जिंदगी की
बहुत आभार आपका।
बहुत ही सुन्दर
धन्यवाद संग मंगलमय जीवन की बहुत बहुत शुभकामनाएं अशोक भाई।
बहुत सुंदर।
बहुत बहुत धन्यवाद भाई
सटीक👌🏻👌🏻🙏🏻
धन्यवाद मित्र।🙏🙏