Tyag ka Parv ‘Bakrid’ bana Bakra-Eid

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भाईचारा और प्रेम, दया का पाठ सिखाता ईद,

त्याग,समर्पण,कुर्बानी सिखलाता है बकरीद,

त्याग आ हम दिखलाएँ,प्रेम का दीप जलाएँ|२

एक कहानी बहुत पुरानी,

जिसको आ दुहराते हैं,

ऐसी कौन सी घटना जिससे,

हम बकरीद मनाते हैं,

हजरत,मूसा,ईशा,मुहम्मद,

वंशज जिस इंसान के,

घटना के सब तार जुड़े हैं,

उस आदम इंसान से,

बाइबिल कहता उन्हें यहूदी,

पैगम्बर इस्लाम,

बाइबिल और कुरान में मिलती,

इनकी कथा वृतांत,

कई वंशज के जनक कहाते,

इब्राहिम था नाम,

एक रात ख्वाबों में आया,

ईश्वर का पैगाम,

प्रेम अगर हमसे है फिर,

अनमोल निशानी दे दो तुम,

जान से ज्यादा प्रिये वही,

मुझपर कुर्बानी दे दो तुम,

नींद खुली आँखों मे सपने,स्वप्न किया गम्भीर,

त्याग, समर्पण, कुर्बानी सिखलाता है बकरीद,

त्याग आ हम दिखलाएँ,प्रेम का दीप जलाएँ|२

जिगर का टुकड़ा साथ लिए,

इब्राहिम अपने राह चला,

इश्माईल एकमात्र पुत्र,

कुर्बानी देने साथ चला,

कालान्तर कई पुत्र हुए,

उस वक्त वही एक बेटा था,

मात-पिता का जीने का,

एक मात्र वही एक जिगरा था,

राह में बालक पूछ रहा,

किसकी देनी कुर्बानी है,

इब्राहिम के होठ सिले,

बस रब की वचन निभानी है,

पग बढ़ते मन उहापोह,

बेटे को क्या समझाए अब,

सोच समझ इस्माईल को

सपने की बात बताए सब,

खुदक़िस्मत समझा असमंजस,

पिता के मन का दूर किया,

कुर्बानी को सज्ज स्वप्न

में रब बोले वो पूर्ण किया,

पट्टी बाँध नयन इब्राहिम

पुत्र शिला से बाँध दिया,

तेज धार से जिगर का टुकड़ा,

रब पर वह कुर्बान किया,

अचरज देखा नयन खुले तो,

पुत्र बगल में खड़ा मिला,

देख शिला आँखें चकराई,

भेड़ शीश था पड़ा हुआ,

इब्राहिम का त्याग देख कर ईश्वर हुए मुरीद,

त्याग,समर्पण,कुर्बानी सिखलाता है बकरीद,

त्याग आ हम दिखलाएँ,प्रेम का दीप जलाएँ|२

इब्राहिम के पास भेड़,

फिर भी बेटा कुर्बान किया,

उसने रब पर प्रिये बोलकर,

भेड़ नहीं कुर्बान किया,

सदियों से ये बलि प्रथा,

कुर्बानी चलते आया है,

पशुओं पर हर धर्मों में,

मनमानी चलते आया है,

जीने का हक़ सबको सबमें,

अल्लाह,ईश्वर,पीर,

देख कभी उनकी आँखों में,

दर्द भरे हैं नीर,

हर धर्मों से प्रेम हमें,

ना हम नफरत की बात करें,

धर्म नहीं सिखलाता,

हम जीवों पर अत्याचार करें,

प्यासे को पानी,

भूखे की भूख मिटाता ईद,

द्वेष,मोह का कुर्बानी,

सिखलाता है बकरीद,

त्याग आ हम दिखलाएँ,प्रेम का दीप जलाएँ|२

त्याग आ हम दिखलाएँ,प्रेम का दीप जलाएँ|२

!!! आपसभी को त्याग और समर्पण का पर्व बकरीद ‘ईद’ मुबारक !!!

!!! मधुसूदन !!!

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