UN-EXPECTED/अप्रत्याशित
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मैंने ख्वाबों में भी ना ये सोचा कभी,
इस तरह पास आओगे तुम,
पास आकर लगाकर गले से मुझे,
इस तरह भूल जाओगे तुम।
हम अंधेरे में लाखों जलाए दिए,
फिर भी रौशन नही ये निशा है,
तूने ख्वाबों में भी क्यों ना सोचा कभी,
तेरे बिन मेरी दुनियाँ कहाँ है,
अब कहूँ बेवफा या कहूँ क्या बता,
प्रेम करने की मैं खुद को दूँ क्या सजा,
मैंने ख्वाबों में भी ना ये सोचा कभी,
इस तरह से रुलाओगे तुम,
पास आकर लगाकर गले से मुझे,
इस तरह भूल जाओगे तुम।
अब बता किस तरह मुस्कुरायेंगे हम,
कैसे यादें तुम्हारी मिटायेंगे हम,
जो दिया उससे बढ़कर सजा ही नही,
जो दिया जख्म जिसकी दवा ही नही,
तुम गए छोड़ क्यों छोड़ यादें गए,
साथ जीने की क्यों तोड़ वादे गए,
तोड़ना ही था सपने सजाए थे क्यों,
छोड़ना ही था अपना बनाये थे क्यों,
मैंने ख्वाबों में भी ना ये सोचा कभी,
इस तरह रूठ जाओगे तुम,
पास आकर लगाकर गले से मुझे,
इस तरह भूल जाओगे तुम।
!!!मधुसूदन!!!
Deep words shared.
Thanks again for your appreciations.
Waw… Beautiful lines… So romantic… Bahut hi sundar… 👏🎂🙏
सुक्रिया आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
wow – melancholy – beautifully expressed
Thank you very much.
My absolute pleasure
Deep felt emotions run through the mind upon reading this poem. Bahut Khoob!
Thank you very much for your valuable comments.
Sir poetry is beautiful 👌👌
Thank you very much for your appreciation.
सुंदर रचना !
धन्यवाद आपका।
स्वागतम !
Bahut sundar dil ki bat likha diya
लिखना सार्थक हुआ। 👏👏
😊🙏🙏
Bahut hi Sundar…👌
Dhanyawad apka pasand karne ke liye.
Lovely poetry
Dhanyawqd apka sarahne ke liye.
गहराई तक कुरेदते है ये शब्द । किसी के प्रेम की पावन गाथा को सुनाते है।
किसी न किसी पर लागू जरूर हो जाते हैं जो हमसब लिखते हैं। धन्यवाद आपका सराहने के लिए।
🙏
Aise hi margdarshan kijiye 🙏
Bilkul 👏👏