UN-EXPECTED/अप्रत्याशित

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मैंने ख्वाबों में भी ना ये सोचा कभी,

इस तरह पास आओगे तुम,

पास आकर लगाकर गले से मुझे,

इस तरह भूल जाओगे तुम।

हम अंधेरे में लाखों जलाए दिए,

फिर भी रौशन नही ये निशा है,

तूने ख्वाबों में भी क्यों ना सोचा कभी,

तेरे बिन मेरी दुनियाँ कहाँ है,

अब कहूँ बेवफा या कहूँ क्या बता,

प्रेम करने की मैं खुद को दूँ क्या सजा,

मैंने ख्वाबों में भी ना ये सोचा कभी,

इस तरह से रुलाओगे तुम,

पास आकर लगाकर गले से मुझे,

इस तरह भूल जाओगे तुम।

अब बता किस तरह मुस्कुरायेंगे हम,

कैसे यादें तुम्हारी मिटायेंगे हम,

जो दिया उससे बढ़कर सजा ही नही,

जो दिया जख्म जिसकी दवा ही नही,

तुम गए छोड़ क्यों छोड़ यादें गए,

साथ जीने की क्यों तोड़ वादे गए,

तोड़ना ही था सपने सजाए थे क्यों,

छोड़ना ही था अपना बनाये थे क्यों,

मैंने ख्वाबों में भी ना ये सोचा कभी,

इस तरह रूठ जाओगे तुम,

पास आकर लगाकर गले से मुझे,

इस तरह भूल जाओगे तुम।

!!!मधुसूदन!!!

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