VALENTINE DAY/संत वेलेंटाइन

सत्य का लिफाफा लिए झूठ को है ढ़ो रहा,
आज हमें देख वेलेन्टाईन कहीं रो रहा।
देख सो गए हैं कई जिस्म की आगोश में,
प्रेम का है नाम कहाँ प्रेम,कोई होश में,
प्रेम ही मिसाल बना प्रेम कही खो रहा,
आज हमें देख वेलेन्टाईन कहीं रो रहा।
आज भी कई पड़ी है प्रेम की निशानियाँ,
सैकड़ों किताब में है प्रेम की कहानियाँ,
प्रेम के विरुद्ध कभी रोम का सम्राट था,
ब्याह क्रूर क्लॉडियस आदेश के खिलाफ था,
सन्त वेलेन्टाईन देखा जब ये क्रूर नीतियाँ,
चढ़ गया था शूली तोड़ डाली क्रूर नीतियाँ,
आज मगर प्रेम की बदल गई हैं आयतें,
झूठ,स्वार्थ,छल,फरेब से भरी इबादतें,
हो रहे हैं इंतेजाम,जिस्म के कई गुलाम,
प्रेम की बयार चली स्वार्थ हाथ धो रहा,
आज हमें देख वेलेन्टाईन कहीं रो रहा।
खा रहे हैं चोट कई जख्म के निशान भी,
हमसफ़र से कम पड़े है आज परिधान भी,
खिलखिला रही है हुस्न,इश्क मुश्कुरा रहा,
जिस्म के बाजार में प्रेम छटपटा रहा,
टूट रहे ख्वाब नित्य,छूट रहे साथ नित्य,
टूट रहे आस नित्य उम्मीद कहीं खो रहा,
आज हमें देख वेलेन्टाईन कहीं रो रहा,
आज हमें देख वेलेन्टाईन कहीं रो रहा।
!!!मधुसूदन!!!

Image Credit: Google

25 Comments

  • मधुसूदन जी,मेरी आज की कविता”हम नहीं तो तुम नहीं”कैसी लगी।कृपया जवाब देना।

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